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5 Ways to Prevent Developing Acute Kidney Injury

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5 Ways to Prevent Developing Acute Kidney Injury

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Developing Acute Kidney Injury can thoroughly and extensively prove to be a troublesome experience. This is especially true when you do not see the problem coming at all. Acute Kidney Injury is a medical phenomenon wherein a person’s kidneys stop working for one reason or another. This kidney failure can thoroughly and extensively take place over a few hours or a few days. This is a serious condition as a stoppage in the functioning of the kidneys can hinder all the procedures of filtering waste, balancing fluids, and managing electrolytes. If you or someone you know is facing this issue, you need to make sure that you are able to access diagnostic and treatment opportunities from the experts at RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital. 

 

In this blog post, we extensively discuss the different strategies that one can employ to ensure the possibility of preventing the trouble of Acute Kidney Injury. By following these tips and techniques, you can make certain that you are able to avoid a lot of pain and stress. With the help of experts, you can also make sure to keep an eye on developing symptoms. If there are any issues, you need to consult the experts immediately. 

How to Prevent the Development of Acute Kidney Injury?

The following are some of the ways you can prevent the development of acute kidney injury: 

Hydration is Imperative 

One of the key ways you can make sure that you are able to avoid developing the issue of ACI is by making certain that you are paying attention to hydration. One needs to make sure that you are able to drink at least 7-8 glasses of water each day. 

Pay Attention to Chronic Conditions 

It is also essential to make sure that you are able to pay attention to any and all chronic conditions. One needs to make sure that you are able to manage your chronic conditions, such as diabetes, in an effective manner. Diabetes can effectively ruin your kidney system if not handled correctly.

Consider Your Medications 

It is also essential to make sure that you can consider your medications. More potent medications leave a mark on your kidneys in a critical manner. If one relies on medication too often, it can lead to the development of ACI.

Seek Infection Treatment 

If you have developed an infection, it is also essential to make sure that you are able to seek treatment whenever and however possible. One must not let the infection grow and compound into an intensive issue. 

Healthy Lifestyle 

Furthermore, it is generally essential to make sure that you can thoroughly and effectively have and maintain a healthy lifestyle. One needs to make sure that they are ingesting the right food items and incorporating healthy habits into their routine. 

Conclusion 

Developing any trouble with the kidneys can be thoroughly difficult to manage, all things considered. One needs to make sure that they are able to prevent suffering from these issues. With the help of experts at RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital, you can make certain that you are able to understand the ways in which you can prevent developing the trouble of Acute Kidney Injury in an effective manner. Our team ensures that you are able to comprehend symptoms to keep an eye out for, as well as ways of preventing the ACI from developing. 

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क्या किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है कीमोथेरेपी? इसकी पूरी जानकारी डॉक्टर से जानिए

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कीमोथेरेपी कैंसर से जूझ रहे लोगों के लिए जीवन रक्षक इलाज हो सकता है, जो कि एक उम्मीद और ठीक होने की संभावना प्रदान करता है। बता दें कि कीमोथेरेपी मरीज के कैंसर के इलाज में, सर्जरी से पहले, बाद या फिर कई बार बिना सर्जरी के भी दी जाती है। पर इस दौरान मरीज़ के शरीर पर कई तरह के साइड इफैक्ट्स भी देखने को मिलते हैं, जैसे कि मरीज के बाल झड़ना, शरीर का काला पड़ना, मुंह में छाले होना और भूख की कमी लगना आदि। आमतौर पर बाहरी लक्षण तो एक मरीज को दिखाई दे जाते हैं, पर शरीर के अंदरूनी नुकसान को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पाते हैं। दरअसल कई बार लगातार कीमोथेरेपी करवाने के बाद कुछ मरीजों को पेशाब में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि यह लक्षण व्यक्ति की किडनी से जुड़े होते हैं, तो इस तरह की स्थिति में सवाल उठता है, कि क्या कीमोथेरेपी की वजह से एक व्यक्ति की किडनी पर असर पड़ता है और इसकी क्या वजह होती है? तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं। 

क्या कीमोथेरेपी के कारण किडनी को नुकसान होता है?

डॉक्टर के अनुसार, हाँ कीमोथेरेपी की वजह से मरीजों की किडनी पर बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। दरअसल कुछ तरह की कीमोथेरेपी दवाएं एक व्यक्ति की किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। आमतौर पर अगर आपको इसके बारे में एक आसान भाषा में समझाया जाए, तो यह दवाइयां कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने या फिर छोटा करने के लिए होती है। दरअसल यह दवाइयां कैंसर सेल्स पर तो काम करती ही हैं, पर इसके साथ ही शरीर के अन्य अंगों जैसे किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकती है। आमतौर पर किडनी का मुख्य काम हमारे शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने का होता है। इस तरह की स्थिति में कीमोथेरेपी की दवाइयां किडनी पर बहुत ही ज्यादा दबाव डाल सकती हैं और इसके साथ ही कई महीनों तक लगातार ऐसा करने से मरीज को किडनी से सबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

कीमोथेरेपी में किडनी को नुकसान पहुंचने की वजह 

इसके बारे में डॉक्टर का कहना है, कि कीमोथेरेपी के दौरान मरीजों को आमतौर पर उल्टी, थकावट, बाल झड़ना, दस्त या फिर पेट खराब होने जैसी कई परेशानियां होने लग जाती हैं। इस समस्यायों की वजह से किडनी पर भी असर पड़ता है। दरअसल इस दौरान मरीज के पेशाब में प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ सकती है, या फिर उनको पेशाब के जरिये खून भी आ सकता है। आपको बता दें कि इसके कई मामलों में मरीज की किडनी में सूजन भी देखने को मिल सकती है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि

  • कीमोथेरेपी में सिस्प्लैटिन जैसी दवाइयों को देना।
  • ज्यादातर कीमोथेरेपी में हाई डोज वाली दवाइयों को देना।
  • इस दौरान मरीज को पहले से ही किडनी की समस्या होना।
  • शरीर में पानी की कमी होना।
  • मरीज को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानी होना।
  • मरीज की उम्र ज्यादा होना, ज्यादा उम्र के कारण किडनी फंक्शन कम होना
  • किडनी का नुकसान कौन से लक्षणों से पता चलता है ?

दरअसल इस पर डॉक्टर का कहना है, कि वैसे तो कीमोथेरेपी के दौरान डॉक्टर मरीज का रोजाना चेकअप करते रहते हैं, ताकि मरीज के शरीर में किसी भी तरह की समस्या का पहले ही पता चल जाए। बता दें कि इसके बावजूद भी अगर मरीज को कीमोथेरेपी के दौरान नीचे दिए बदलाव महसूस होते हैं, तो उसको बिना देरी किये तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

  • दिनभर थकावट या कमजोरी महसूस होना। 
  • मरीज के पैरों या फिर चेहरे पर सूजन का होना। 
  • ज्यादातर भूख न लगना। 
  • उल्टी या फिर जी का मिचलाना। 
  • पेशाब में झाग का आना। 
  • पेशाब में खून आना। 
  • रोगी के शरीर में खुजली होना या फिर त्वचा में रूखापन आना। 
  • सांस का फूलना। 
  • पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना। 
  • रात के समय बार-बार पेशाब का आना। 
  • ध्यान और याददाश्त में कमी होना 

किडनी को सेहतमंद रखने के तरीके

आपको बता दें कि कैंसर के मरीजों को डॉक्टर के द्वारा कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनको आमतौर पर कीमोथेरेपी के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है। 

  • दरअसल जब भी मरीज कीमोथेरेपी को कराये, तो मरीज को उस से पहले और उसके बाद में खूब पानी पीना चाहिए। 
  • इस दौरान डॉक्टर द्वारा आपको जो भी दवाइयां दी गई हैं, उनको आप नियमित रूप से और समय पर लें। 
  • डॉक्टर की सलाह लेकर ही, नियमित रूप से आप अपने क्रिएटिनिन और यूरिया जैसे किडनी फंक्शन टेस्ट को जरूर कराएं।
  • इस दौरान संतुलित और हेल्दी डाइट का पालन करें। आप अपनी डाइट में नमक और प्रोसेस्ड जैसे फूड को कम करें
  • इस दौरान आप जरूरत से ज्यादा किसी भी तरह की पेनकिलर न लें और डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयों का सेवन करें। 
  • इस दौरान आप नियमित रूप से व्यायाम करें। 
  • ज्यादातर शराब और धूम्रपान के सेवन से अपना बचाव करें। 
  • बता दें कि इस दौरान आप डॉक्टर से बिना पूछे किसी भी तरह का सप्लीमेंट या दवा को न लें।
  • आप अपनी किडनी को सेहतमंद रखने के लिए ब्लड प्रेशर और शुगर कंट्रोल में रखें। 
  • दरअसल कीमोथेरेपी कैंसर के इलाज के लिए जरूरी होती है। इसलिए कीमोथेरेपी दौरान डॉक्टर की सलाह पर अपने खानपान और दवाइयों पर जरूर ध्यान दें।

निष्कर्ष : कीमोथेरेपी कैंसर के इलाज में प्रभावी होती है और कीमोथेरेपी को कराना मरीज के लिए बहुत कठिन होता है, क्योंकि इस दौरान मरीज को हाई डोज दवाइयां दी जाती है। जिसके कारण मरीज में उल्टी, थकावट, बाल झड़ना, दस्त और पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे साइड इफैक्ट्स देखने को मिलते हैं। कीमोथेरेपी के दौरान शरीर के सभी अंगों पर कोई न कोई प्रभाव जरूर पड़ता है। पर कैंसर के इलाज में इस को करवाना बहुत जरूरी होता है। इस दौरान सिस्प्लैटिन जैसी कुछ दवाइयां किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। मरीज को अगर पहले से ही किडनी की समस्या, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, डिहाइड्रेशन या फिर उम्र बहुत ज्यादा हो, तो इससे किडनी को नुक्सान पहुंचने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए आप कीमोथेरेपी करवाते वक्त किडनी की नियमित जांच करवाना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह का पालन करना बहुत जरूरी होता है, ताकि आपका उपचार काफी असरदार भी हो और साथ ही आपकी किडनी सुरक्षित भी रहे। अगर आपको भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी है, या फिर आपको भी इस तरह की कोई समस्या हो गयी है और आप इस समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं और आप इस समस्या का इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लैप्रोस्कोपी अस्पताल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1. कीमोथेरेपी के बाद कौन से अंग खराब हो सकते हैं?

बता दें की कीमोथेरेपी के दौरान शरीर के सभी अंगों पर कोई न कोई प्रभाव जरूर पड़ता है। दरअसल इस दौरान हार्ट, फेफड़े, किडनी और रिप्रोडक्टिव अंगों पर इसका प्रभाव दिखाई दे सकता है। 

प्रश्न 2. क्या कीमोथेरेपी क्रिएटिनिन को बढ़ाता है?

आमतौर पर कीमोथेरेपी के दौरान कुछ दवाइयां क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं। इसकी वजह से किडनी को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। आमतौर पर अगर इस दौरान आपके पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस हो, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह करनी करनी चाहिए 

प्रश्न 3. कीमोथेरेपी के लिए किडनी का टेस्ट क्या है?

आपको बता दें कि कीमोथेरेपी के दौरान ब्लड टेस्ट के माध्यम से क्रिएटिनिन और यूरिक एसिड की जांच की जाती है। दरअसल पेशाब की जांच करके पेशाब में प्रोटीन की मात्रा को चेक किया जाता है। 

 

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किडनी की बीमारी से क्या पैरों में जलन होती है? डॉक्टर से जानें

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आजकल लोगों को शरीर से जुड़े न जानें ऐसे कौन -कौन से रोग हो जाते हैं, जिनके बारे में उनको पता भी नहीं होता है। इन्हीं समस्याओं में से एक है पैरों में जलन होना। दरअसल पैरों में जलन की परेशानी होना एक आम समस्या हो सकती है। अक्सर लोगों को पैरों में जलन की शिकायत रहती है। ज्यादातर लोगों को अपने पैरों में होने वाली जलन, झनझनाहट, सुन्नपन, चुभन और गर्माहट को महसूस करते हैं। कई बार लोगों के पैरों में यह जलन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, हालांकि आपको इसके प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। पर कई बार लोगों द्वारा इन समस्याओं को थकान, पैरों में दर्द या फिर मौसम के साथ जोड़कर नजरअंदाज कर दिया जाता है। क्योंकि यह समस्याएं लोगों को ज्यादातर रात के वक्त आराम करने के दौरान होती है, जो न सिर्फ लोगों की नींद में परेशानी पैदा करती हैं, बल्कि उनकी दिनचर्या को भी खराब कर देती हैं। आमतौर पर पैरों की जलन कई

तरह की समस्याओं का संकेत हो सकती है, जैसे डायबिटीज, विटामिन की कमी, थायराइड और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं। पर क्या आपको इसके बारे में पता है, कि आपके पैर में जलन का कारण किडनी से जुड़ी समस्याओं का प्रभाव भी हो सकता है। इसलिए ऐसे में इसको बिलकुल भी नज़रअंदाज न करें। आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में डॉक्टर से विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं, कि किडनी की बीमारी की वजह से पैरों में जलन हो सकती है या फिर नहीं? 

क्या किडनी की बीमारी से पैरों में जलन हो सकती है?

डॉक्टर का कहना है, कि किडनी हमारे शरीर का एक मुख्य अंग होती है, जो हमारे शरीर की गंदगी को बाहर निकालने और कई अन्य जरूरी कामों को करने में मदद करती है। इसके साथ ही यह मिनरल्स के संतुलन को बनाए रखने और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखती है। दरअसल जब हमारी किडनी सही तरीके से काम नहीं करती है, तो हमारे शरीर में टॉक्सिन्स, जैसे कि यूरिया, क्रिएटिनिन और अन्य जहरीले पदार्थ शरीर में जमा होने लग जाते हैं, जो आमतौर पर धीरे-धीरे आपके शरीर की नसों को भी प्रभावित करते हैं, और इसके साथ ही पेरिफेरल न्यूरोपैथी का कारण बनते हैं, दरअसल इस तरह की स्थिति में सबसे पहले मरीज व्यक्ति के पैरों में जलन, झनझनाहट, चुभन, सुन्नता और इसके साथ ही शरीर में कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। इसलिए आपको किडनी की समस्या होने पर आपके पैरों में जलन हो सकती है, जबकि यह इसका एक आम लक्षण हो सकता है। 

किडनी की समस्या से पैरों में जलन होने के कारण

यूरेमिक न्यूरोपैथी

विशेष रूप से यूरेमिक न्यूरोपैथी की समस्या तब देखी जाती है, जब किडनी, फेल होने के अंतिम चरण तक पहुंच जाती है। जिसकी वजह से नसों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है और इसके कारण पैरों में लगातार जलन, झनझनाहट और पैरों में सुन्नता होने लगती है।

इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन 

आमतौर पर शरीर में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स को संतुलित रखना यह किडनी का एक अहम् काम होता है। जबकि किडनी खराब होने पर इन सब चीजों का संतुलन बिगड़ जाता है। दरअसल ये असंतुलन नसों के काम करने के तरीके को प्रभावित करता है और पैरों में जलन जैसी समस्यायों को बढ़ाता है।

विटामिन बी की कमी

आपको बता दें कि किडनी की समस्या से पीड़ित मरीज को अक्सर पोषण की कमी, खास तौर पर विटामिन बी12 और बी-कॉम्प्लेक्स की कमी का सामना करना पड़ता है। दरअसल यह विटामिन नसों के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी होते हैं। आमतौर पर इन की कमी के कारण ही नसें कमजोर होने लगती है और इसके साथ ही जलन या फिर सुन्नपन जैसी समस्या बढ़ सकती है।

डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर

आपको बता दें की डायबिटीज और हाई बीपी, यह दोनों समस्याएं पुरानी किडनी की बीमारी के सबसे आम कारण हैं और इसके साथ ही यह दोनों बीमारियां अपने आप में न्यूरोपैथी की वजह बन सकती हैं, जिसकी वजह से इस से पीड़ित मरीज के पैरों में जलन की समस्या हो सकती है। 

पैरों में जलन होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं? 

आमतौर पर अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही किडनी से जुड़ी कोई समस्या है, तो वह लगातार पैरों में जलन, झनझनाहट या फिर कमजोरी को महसूस कर सकता है। आपको बता दें कि यह एक नसों में होने वाली गंभीर समस्या की तरफ इशारा हो सकता है। इस तरह की स्थिति को नज़रअंदाज करना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि असल में यह धीरे धीरे आपके पूरे नर्व सिस्टम को श्रति पहुंचा सकता है। इसलिए अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। 

  • लंबे समय से आपके पैरों वाली जलन होना। 
  • पैरों में जलन की वजह से नींद का न आना। 
  • आपको चलने या फिर खड़े होने में परेशानी का होना। 
  • आपकी स्किन में कई तरह के बदलाव का होना या सूजन होना। 
  • पैरों में जलन के साथ -साथ पेशाब की समस्या या फिर चेहरे पर सूजन होना। 

 

निष्कर्ष : आजकल लोगों को शरीर से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो रहीं हैं। इनमें से एक पैरों में जलन होना। जिसमें व्यक्ति अपने पैरों में जलन, झनझनाहट, सुन्नपन, चुभन और गर्माहट को महसूस करता है। दरअसल पैरों में जलन की समस्या तकलीफ देने वाली हो सकती है। इसलिए ऐसे में इसको बिलकुल भी नज़रअंदाज न करें, क्योंकि यह आपकी किडनी में होने वाली समस्याओं का संकेत हो सकता है। बता दें की इस समस्या को नज़रअंदाज करने से न सिर्फ आप नसों से जुड़ी समस्यायों के शिकार हो सकते हैं, बल्कि इस से आपकी किडनी फेल होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए आपके पैरों में होने वाली परेशानी को नजरअंदाज करने की जगह आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आपको भी पैरों में जलन की समस्या है या फिर इससे संबंधित कोई भी परेशानी है, जिससे आप बहुत ज्यादा परेशान हैं और आप इसका इलाज ढूंढ रहे हैं, तो आप आज ही आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लैप्रोस्कोपी अस्पताल में जाकर आप अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1.  किडनी खराब होने का पहला संकेत क्या होता है?

दरअसल किडनी खराब होने का पहला संकेत पेशाब की आदतों में बदलाव होना हो सकता है, जैसे सामान्य से ज्यादा या फिर कम पेशाब का आना और इसके साथ ही पेशाब में झाग या खून आना।

प्रश्न 2. कौन से विटामिन की कमी से पैरों में जलन हो सकती है?

विटामिन बी12 की कमी से शरीर में जलन हो सकती है। आमतौर पर इस तरह की स्थिति न्यूरोपैथी की वजह बनती है, जिसके कारण आपको पैरों में जलन, झुनझुनी या फिर सुन्नता महसूस हो सकती है।

प्रश्न 3. पैरों में जलन का मुख्य कारण क्या है?

दरअसल पैरों में जलन के कई कारण हो सकती है, जिसमें सबसे आम न्यूरोपैथी है, जो अक्सर डायबिटीज की वजह से होती है। इसके अलावा विटामिन की कमी, इंफेक्शन, और उसके साथ कुछ स्वास्थ्य स्थितियां भी पैरों में जलन का कारण बन सकती हैं।

 

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क्या किडनी से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है थायराइड? डॉक्टर से जानिए

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आज के समय में लोगों का खानपान बहुत ही ज्यादा बदला गया है। खराब लाइफस्टाइल के चलते आजकल लोगों में थायरॉइड और किडनी से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। आपको बता दें की थायरॉइड होने पर एक मरीज को कई तरह की बिमारिओं का सामना करना पड़ सकता है। दरसल थायराइड की समस्या होने पर आपको थकान, कमजोरी और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में कई लोग सोचते हैं, कि किडनी से जुड़ी समस्याओं का कारण  थायराइड बनता है। पर क्या ऐसा वाकई होता है। 

इतना ही नहीं, थायराइड की समस्या होने पर कुछ लोगों का वजन बढ़ता है, तो कुछ मामलों में लोगों का वजन कम भी हो जाता है। आपको बता दें कि थायराइड कई बार किडनी से जुड़ी समस्याओं की वजह बन सकता है। इसलिए इस समस्या से अपना बचाव करने के लिए आपको अपना थायराइड कंट्रोल में रखना चाहिए। कुछ मामलों में थायराइड की वजह से किडनी के फंक्शन पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। आइये इस लेख के माध्यम से डॉक्टर से इसके बारे में और जानते हैं। 

क्या किडनी से जुड़ी समस्याओं का भी कारण बनता है थायराइड?

डॉक्टर के अनुसार अगर आप थायराइड के मरीज हैं, तो आपको इसका इलाज जल्द से जल्द शुरू करना बहुत ज्यादा जरूरी है। ताकि आपको इसकी वजह से शरीर में कोई और समस्याएं न हो सके। आपको बता दें कि कुछ मामलों में थायराइड होने पर आपके किडनी फंक्शन पर भी काफी प्रभाव पड़ सकता है। कुछ मामलों में जब व्यक्ति का थायरॉइड बढ़ता है, तो किडनी शरीर में से जहरीले तत्वों को साफ कर पाने में सक्षम नहीं रहती है। दरअसल, थायरॉयडिज्म होने पर व्यक्ति के शरीर में फ्लूड रिटेंशन की समस्या हो सकती है। इस तरह की स्थिति में किडनी पर बहुत ज्यादा जोर पड़ता है। जिसके कारण किडनी में से जहरीले तत्व सही तरीके से बाहर नहीं निकल पाते हैं। 

थायराइड का किडनी फंक्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

आमतो पर अगर आप थायरॉइड की समस्या से पीड़ित हैं, तो इस तरह की स्थिति में सबसे ज्यादा असर आपकी किडनी फंक्शन्स पर पड़ता है। जब किडनी फंक्शन्स पर 

असर पड़ता है, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है या कई बार किडनी सुचारू रूप से काम करने में असमर्थ हो जाती है। इसकी वजह से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का स्तर बैलेंस में नहीं होता है, जिसके कारण किडनी फंक्शन पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही अगर आपको हाइपरथायरॉइडिज्म है, तो आपको इसकी वजह से पेशाब में से प्रोटीन लीक होने की भी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में इसकी वजह से किडनी डैमेज होने का भी खतरा बना रहता है।

थायराइड शरीर के किन हिस्सों को प्रभावित करता है?

दरअसल थायराइड होने पर शरीर के कई हिस्से प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि यह हार्मोन को बनाता है, जो आमतौर पर मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करते है। थायराइड शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि 

  1. इससे आपके दिल की धड़कन तेज या धीमी हो सकती है और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है, जिसकी वजह से आपको दिल की समस्याएं हो सकती हैं।
  2. इस तरह की स्थिति में आपको शारीरिक ऊर्जा की कमी के कारण बहुत ज्यादा थकावट और सुस्ती महसूस हो सकती है, और इसके साथ ही चिड़चिड़ापन भी हो सकता है।
  3. इसके कुछ मामलों में आपको मांसपेशियों और जोड़ों में कमजोरी, दर्द और अकड़न महसूस हो सकती है। इसके अलावा बोन डेंसिटी पर भी प्रभाव पड़ता है और साथ ही हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। 
  4. दरअसल थायराइड हार्मोन कई बार त्वचा और बालों पर भी अपना प्रभाव डाल सकता है, जिसके कारण आपकी त्वचा रूखी हो सकती है और बाल झड़ सकते हैं।
  5. इसके कुछ मामलों में याददाश्त, मूड और एकाग्रता पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। 
  6. इस तरह की स्थिति में आपका तंत्र खराब हो सकता है, जिसकी वजह से आपको कब्ज या दस्त की समस्या हो सकती है।
  7. इसकी वजह से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमजोरी आ सकती है। 

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?

  1. अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आपको अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जरूरत होती है। 
  2. इसके लिए आपको दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। दिन में कम से कम आपको 7 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए। 
  3. किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आपको फल, सब्जियों और प्रोटीन से भरपूर फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। 
  4. किडनी के स्वास्थ्य को हेल्दी रखने के लिए आपको नमक का सेवन कम करना चाहिए।
  5. किडनी को हेल्दी रखने के लिए आपको शराब और धूम्रपान का सेवन करने से जितना हो सके परहेज करना चाहिए।
  6. इस तरह की स्थिति में आपको अपने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना चाहिए। 

निष्कर्ष

लोगों के खराब लाइफस्टाइल की वजह से आजकल थायराइड और किडनी से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं। थायराइड होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं हो सकती हैं जैसे थकान, कमजोरी और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी कई समस्याएं आदि। डॉक्टर के अनुसार अगर आपको थायराइड है, तो आपको इसका इलाज जल्द से जल्द करवाना चाहिए। ताकि इसकी वजह से शरीर में कोई और समस्या न बढ़े। अगर आपको थायराइड की समस्या है, तो ऐसे में सबसे ज्यादा असर आपकी किडनी फंक्शन पर पड़ता है। इसके कारण किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है या कई बार किडनी सुचारू रूप से काम करने में असमर्थ हो जाती है। इसके अलावा अगर आपको हाइपरथायरॉइडिज्म है, तो इसकी वजह से पेशाब में से प्रोटीन लीक हो सकता है और कुछ मामलों में किडनी डैमेज होने का खतरा बना रहता है। इस तरह समस्या होने पर आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आपको भी थायराइड की समस्या है, और इसकी कारण आपको किडनी में समस्या हो गयी है और आप इस से काफी परेशान हैं और आप इसका इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही आर. जी. स्टोन यूरोलॉजी एंड लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी ले सकते हैं।  

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1. क्या थायराइड से किडनी खराब हो सकती है?

दरअसल थायराइड होने पर किडनी खराब नहीं होती है, पर इसकी वजह से किडनी पर कई तरीकों से प्रभाव पड़ सकता है। इस तरह की स्थिति में किडनी फंक्शन पर भी प्रभाव पड़ सकता है। 

प्रश्न 2. थायराइड होने से शरीर में क्या-क्या समस्याएं होती है?

थायराइड होने पर व्यक्ति के शरीर पर कई तरीकों से प्रभाव पड़ सकता है। इसकी वजह से कई बार थायराइड ग्लैंड का आकार भी बढ़ सकता है और इसके साथ ही आपका वजन भी कम हो सकता है। 

प्रश्न 3. थायराइड में कहां-कहां दर्द हो सकता है?

आमतौर पर थायराइड की वजह से आपको गर्दन के पीछे के हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है। इसके कुछ मामलों में आपको गर्दन के आस-पास के हिस्से में भी दर्द का अनुभव हो सकता है। 

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A Guide On The Symptoms And Causes Of Chronic Kidney Diseases

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Our kidneys play a vital role in our bodies as they help to filter toxins, clean blood and other unwanted waste from our bodies, helping us to maintain excellent health. Naturally, depreciation in functionality happens gradually as we age. Consequently, if these bean-shaped organs are affected in any way, it might be problematic for the urinary system as well as the whole body. Chronic kidney disease has no cure, but there are ways to control the damage.

What Is Kidney Disease

Kidney disease, also known as renal disease, is a medical condition in which your kidneys become unhealthy. This condition becomes chronic over time because kidney’s function progressively slows down, hence the infamous name Chronic Kidney Disease (CKD). When the kidneys cease to work efficiently, they cannot clear out the toxins in the body. As a result, this waste accumulates, deteriorating the overall health of a person. Kidney stones may also form in the kidneys if there are high concentrations of uric acid, calcium and other substances in the urine.

Symptoms of Chronic Kidney Disease

It is important to note that in the early stages, symptoms might not be detected; however, as the condition worsens, they become more noticeable. Let’s delve into some of the noticeable symptoms:

  • Blood in urine
  • Change in urinating pattern
  • Very itchy skin
  • Fatigue
  • Drastic weight loss and loss of appetite

We should be aware that some of the symptoms of kidney stones are also similar to those of chronic kidney diseases. For instance, blood in urine, and therefore, it is best to seek professional help and not prefer self-diagnose. 

Causes of Chronic Kidney Disease

The causes of Chronic kidney disease vary from person to person. For others, it may be one thing, and for others, a combination of different elements. Here are some of the common causes of chronic kidney disease:

  • Diabetes- High concentration of sugar in the blood cells may hinder the filtering of waste by the kidneys
  • High Blood Pressure- Overtime if untamed, the high blood pressure strains the kidneys, causing damage. This is because this results in damaging the blood vessels in the kidneys. 
  • Heart disease- Shortage of blood supply to the kidneys due to heart failure may also harm the kidneys.
  • Family History- Such diseases are hereditary; therefore, having a family history poses a risk. 
  • Urinary Tract Obstructions- Blockages by kidney stones can cause damage to the kidneys.

How To Manage Chronic Kidney Disease? 

This disease is much more manageable during the early stages; in its advanced stage, advanced treatment is necessary. In the early stages, lifestyle modifications are necessary like, following a healthy diet, limiting sodium intake, staying hydrated, blood pressure management, blood sugar control, weight management and many others. Advanced stages require renal replacement, like dialysis and kidney transplant, if the cases are extreme.

Chronic Kidney disease is a life-threatening disease. If any signs or symptoms have been detected, it is imperative that medical care is sought immediately to avoid its rapid progression. Even though chronic kidney disease cannot be cured, it can be managed. At RG Stone Urology And Laparoscopy Hospital, we provide the best medical care when it comes to urology problems.

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What is the definition of chronic kidney disease?

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The kidney is an important part of the human body that filters waste from the body. An unhealthy diet plan and poor living can cause different types of kidney-related problems. The best urologist in Ludhiana is known for treating chronic kidney diseases. 

 

What are chronic kidney diseases? 

Chronic kidney disease, also called chronic kidney failure, involves a gradual loss of kidney function. Your kidneys filter wastes and excess fluids from your blood, which are then removed in your urine. Advanced chronic kidney disease can cause dangerous levels of fluid, electrolytes and wastes to build up in your body.

 

What are the causes of chronic kidney diseases?

There are different causes of chronic kidney diseases. Diabetes and high blood pressure are the most common causes of chronic kidney diseases. 

  • Diabetes: Too much glucose, also called sugar, in your blood damages your kidneys’ filters. Over time, your kidneys can become so damaged that they no longer do a good job filtering wastes and extra fluid from your blood. The first sign of kidney-related issues from diabetes is protein in your urine. The filters are damaged, and you need a protein called albumin to stay healthy. Diabetic kidney disease is the medical term for kidney disease caused by diabetes.
  • High blood pressure: High blood pressure can damage blood vessels in the kidneys, so they don’t work either. If the blood vessels in your kidneys are damaged, your kidneys may not work as well to remove wastes and extra fluid from your body. Excess fluid in the blood vessels may increase blood pressure, creating a dangerous cycle.

 

Other factors that cause chronic kidney diseases. 

Some other factors that can cause kidney-related problems are: 

  • A genetic disorder that causes many cysts to grow in the kidneys
  • an infection
  • A drug that is toxic to the kidneys
  • A disease that affects the entire body, such as diabetes or lupus, is an NIH external link. Lupus nephritis is the medical name for kidney disease caused by lupus.
  • IgA glomerulonephritis
  • Disorders in which the body’s immune system attacks its cells and organs, such as Anti-GBM disease
  • heavy metal poisoning, such as lead poisoning NIH external link
  • rare genetic conditions, such as Alport syndrome NIH external link
  • hemolytic uremic syndrome in children
  • IgA vasculitis
  • renal artery stenosis

 

Treatment for chronic kidney diseases.

 

Medication 

High blood pressure medications can initially decrease kidney function and change electrolyte levels, so you might need frequent blood tests to monitor your condition. Your doctor may also recommend a water pill and a low-salt diet.

  • Medications to relieve swelling: People with chronic kidney disease often retain fluids. This can lead to swelling in the legs and high blood pressure. Medications called diuretics can help maintain the balance of fluids in your body.
  • Medications to treat anemia: Erythropoietin, sometimes with added iron, helps produce more red blood cells. This might relieve fatigue and weakness associated with anemia.
  • Dialysis: Dialysis artificially removes waste products and extra fluid from your blood when your kidneys can no longer do this. In hemodialysis, a machine filters waste and excess fluids from your blood.
  • Kidney transplant: A kidney transplant involves surgically placing a healthy kidney from a donor into your body. Transplanted kidneys can come from deceased or living donors.

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पेशाब की नली में है इन्फेक्शन : तो जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार ?

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पेशाब की नली में इन्फेक्शन मूत्राशय और मूत्रमार्ग का इन्फेक्शन है। इसे यूटीआई भी कहा जाता है। वहीं पेशाब की नली में संक्रमण होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया है। कुछ इन्फेक्शन फंगी के कारण भी ऐसा होता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में यह वायरल होता है। ये वायरल क्यों किसे और किन कारणों से होता है और साथ ही इसके लक्षण क्या नज़र आते है, वहीं इस समस्या से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

पेशाब की नली में इन्फेक्शन का होना क्या है ?

  • यह मनुष्यों के शरीर में होने वालें सबसे आम संक्रमण में से एक है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इसका खतरा सबसे अधिक होता है। अगर यह संक्रमण केवल पेशाब की नली तक सीमित रहता है तो दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर ये इन्फेक्शन गुर्दे तक फैल जाते है तो समस्या और भी बढ़ सकती है, जैसे आपको पथरी की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है 
  • वहीं सही से पानी न पीने और लंबे समय तक मूत्र को रोककर रखने के कारण भी यूरिन इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा मधुमेह, गर्भवास्था औऱ मोनोपॉज के समय भी यूरिन इंफेक्शन हो जाता है। 
  • इसमें बार-बार यूरिन का आना, यूरिन में जलन होना, यूरिन के साथ खून का आना, पेड़ू या पेट के निचले हिस्से में दर्द का होना जैसी समस्याएं आपमें होने लगती है। वो भी पेशाब की नली में इन्फेक्शन के कारण।

यदि पेशाब की नली में इन्फेक्शन के कारण आपको गुर्दे में पथरी की समस्या हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में गुर्दे की पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन के क्या कारण है ?

  • मूत्र मार्ग में अवरुद्धता का आना। 
  • गर्भावस्था के कारण। 
  • रजोनिवृत्ति का समय पर न आना या बंद होना।  
  • बहुत अधिक सेक्स करना। 
  • कई पार्टनर्स के साथ संबंध बनाना। 
  • मूत्राशय का खाली न होना। 
  • आंत्र की समस्याओं का सामना करना। 
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना।  
  • अधिक समय तक स्थिर रहना (immobility)।
  • किडनी स्टोन की समस्या। 
  • डायबिटीज की समस्या। 
  • एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग करने से मूत्र पथ का ब्लाक होना।
  • टैम्पोन का उपयोग आदि। 

पेशाब करने पर जलन होने के दौरान कौन-से लक्षण नज़र आते है ?

  • पेशाब करने पर जलन का महसूस होना। 
  • पेशाब के साथ खून का निकलना। 
  • मूत्र के रंग में परिवर्तन का आना। 
  • महिलाओं के श्रोणि क्षेत्र में दर्द का होना। 
  • तुरंत पेशाब करने की जरूरत का महसूस होना। 
  • पुरुषों के मलाशय में दर्द का होना। 
  • ब्लैडर खाली न होना और बार-बार पेशाब का आना। 
  • मूत्र के गंध में परिवर्तन का आना।

यदि मूत्र मार्ग में जलन जैसी समस्या का आप सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन होने पर किन बातों का रखें ध्यान ?

  • पानी का भरपूर सेवन करें। यह मूत्र को पतला करता है और बैक्टीरिया शरीर के बाहर निकालने में मददगार है।
  • कॉफ़ी, शराब, सॉफ्ट ड्रिंक, साइट्रस ड्रिंक और कैफीन के सेवन से बचें। यह पदार्थ आपके मूत्राशय को परेशान कर सकते है।
  • पेट के ऊपर हीटिंग पैड रख सकते है। यह संक्रमण के दर्द को कम करेगा। पर ध्यान रहें पैड ज्यादा गर्म न हो।
  • संभोग करने से बचें। अगर करते है, तो तुरंत बाद पेशाब करें और एक गिलास पानी पिएँ।
  • क्रैनबेरी जूस का सेवन करें। यह पेशाब की नली में इन्फेक्शन का उपचार तो नहीं करता लेकिन इसे होने से रोकता है।
  • महिलाएं योनि में डिओडोरेंट, स्प्रे या डूश के उपयोग से बचें।

मूत्र नली के इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है ?

  • मूत्र नली में इन्फेक्शन के कारण की बात करें तो वो है बैक्टीरिया। इसलिए डॉक्टर बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं की मदद लेकर करते है।
  • वहीं मूत्र मार्ग या यूरिनरी ट्रैक्ट के जिस भाग में संक्रमण होता है, उसके हिसाब से एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। अगर इन्फेक्शन मूत्रमार्ग और मूत्राशय तक ही सीमित है तो मौखिक रूप से एंटीबायोटिक दवा दी जाती है।
  • वायरल इन्फेक्शन और फंगल इन्फेक्शन का उपचार एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है और फंगल इन्फेक्शन का एंटीफंगल दवाओं से। वायरल यूटीआई में सिडोफोविर ड्रग चिकित्सकों की पहली पसंद है, क्योंकि यह सामान्य वायरल रोगजनकों के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करता है।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन का पता कैसे लगाया जा सकता है ? 

  • इसका पता लगाने के लिए आप मूत्र का विश्लेषण करवा सकते है। 
  • अल्ट्रासाउंड, कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (CT), या एमआरआई (MRI) की मदद से भी इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। 
  • इंट्रावेनस पाइलोग्राम (IVP) का चयन। 
  • सिस्टोस्कोपी का चयन। 

ध्यान रहें :

अगर आपके मूत्र नली में इन्फेक्शन की समस्या लगातार बढ़ते जा रहीं है, तो इससे बचाव के लिए आपको अपने सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए और गंभीर समस्या ज्यादा न बढ़े उससे पहले ही आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन कर लेना चाहिए। 

निष्कर्ष :

मूत्र नली में समस्या का आना मतलब आपके लिए काफी परेशानी खड़ी कर सकता है, इसलिए जरूरी है की आपको इससे बचाव के लिए जिन भी जरूरी बातो का ध्यान रखना चाहिए उसको जरूर से रखें।

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जानिए ज्यादा नमक किडनी के मरीजों के लिए कैसे है, खतरा और वो इससे कैसे खुद का बचाव कर सकते है?

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किडनी में पथरी की समस्या का सामना कर रहें लोगों के लिए नमक किस तरह खतरे की निशानी है इसके बारे में हम आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो अगर आप भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहना चाहिए ;

क्या है किडनी में स्टोन की समस्या ?

  • किडनी के भीतर खनिजों और लवणों से बने क्रिस्टल के जमा होने की स्थिति को किडनी स्टोन का कारण माना जाता है। वहीं यह स्थिति गंभीर दर्द का कारण बन सकती है, कुछ लोगों को पेशाब की भी समस्या बनी रहती है। समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर स्टोन्स को निकालने के उपचार कराने की सलाह दी जाती है।
  • इसके अलावा कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ का मानना है, की कम पानी पीने, आहार में गड़बड़ी, किडनी स्टोन की फैमिली हिस्ट्री या अधिक नमक-चीनी का सेवन करने वालों में किडनी में स्टोन बनने की दिक्कत अधिक होती रहती है। डॉक्टर्स कहते है, अगर आहार पर ध्यान देने के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें तो इस समस्या से बचाव किया जा सकता है।

अगर किडनी स्टोन के कारण आपको मूत्र से सम्बंधित कोई समस्या नज़र आ रहीं है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

लक्षण क्या है किडनी स्टोन के ?

  • पीठ के निचले हिस्से या पेट के एक हिस्से में दर्द का महसूस होना।
  • दर्द के साथ मतली या उल्टी होना।
  • पेशाब से खून आना या पेशाब के दौरान दर्द होना।
  • पेशाब करने में असमर्थ होना।
  • अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना।
  • बुखार या ठंड का लगना।
  • पेशाब से बदबू या झाग का दिखाई देना।

किडनी स्टोन की समस्या से हम किन तरीको से करें खुद का बचाव ?

  • सबसे पहले तो आप इस तरह की समस्या से बचाव के लिए कम नमक का सेवन करें। वहीं ज्यादा नमक खाने से आपकी यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाएगी, जिससे स्टोन का खतरा भी बढ़ जाता है, एक दिन में लोगों को 2300 mg से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए, खास कर जो लोग किडनी स्टोन की समस्या से जूझ रहे है, उन्हें रोज़ 1500 mg नमक ही खाना चाहिए. इससे आपको काफी राहत मिलेगी। 
  • किडनी स्टोन से बचने के लिए लोगों को हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, पानी पीने से किडनी में जमे एक्स्ट्रा मिनरल्स बाहर निकल जाते है और किडनी स्टोन का खतरा कम हो जाता है. अगर आप पानी में नींबू है या कुछ खट्टा रस मिला लें, तो भी किडनी स्टोन को बनने से रोक सकते है, इसके अलावा किडनी सर्वे से बचाव के लिए आपको हर दिन कम से कम 3 से 4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। 
  • कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आप किडनी स्टोन की समस्या से बच सकते है। वहीं दूध, दही, पनीर, सोयाबीम, बादाम और हरी पत्तेदार सब्जियों में बड़ी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, ऐसे फूड्स का सेवन करने से आपकी यूरिन में कैल्शियम जमने की संभावना कम हो जाएगी और किडनी स्टोन का खतरा घट जाएगा। 
  • रेडमीट, चिकन, अंडा और सीफूड का ज्यादा सेवन करने से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है और किडनी स्टोन का खतरा भी बढ़ जाता है, इससे बचने के लिए हाई प्रोटीन फूड्स को अवॉइड करना चाहिए. नॉनवेज से दूरी बना लेनी चाहिए और हेल्दी फूड का सेवन करना चाहिए। 
  • चॉकलेट खाने की आदत करें कम, क्युकी ज्यादा चॉकलेट, चाय और अखरोट खाने से भी किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है, तो ऐसे में आपको इन चीजों से दूरी बनानी चाहिए और हेल्दी चीजों का सेवन करना चाहिए. अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो किडनी स्टोन की समस्या से बच सकते है।

यदि इन उपायों को अपनाने के बाद भी किडनी में स्टोन की समस्या बढ़ते जा रहीं है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में गुर्दे की पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

सुझाव : 

गुर्दे की पथरी बहुत ही खतरनाक है, इसलिए इससे बचाव के लिए आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए, और नमक का सेवन उपरोक्त बताएं अनुसार ही करना चाहिए।

पथरी के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

आप चाहे तो बढ़ी हुई पथरी का इलाज आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

गुर्दे में पथरी का होना बहुत ही खतरनाक समस्या है, क्युकी इस दौरान रह-रह कर दर्द की समस्या आपमें बनी रहती है, इसलिए जरूरी है की इससे बचाव के लिए आपको जल्द डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

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Hydronephrosis: symptoms and causes

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Hydronephrosis is a condition associated with the upper urinary tract that causes either or both kidneys to swell. The condition takes place when the urine keeps flowing from the kidney to the bladder and does not let the body get rid of the urine completely, which may cause some symptoms like sudden and intense back or side pain, vomiting, blood in your urine, painful urination, weakness or fever as a result of urinary tract infection. There are a number of treatments available at a kidney hospital in Ludhiana that are approached in association with the underlying condition. 

The condition can vary from sudden or chronic, one-sided or bilateral, partial or complete. The condition is known as unilateral if only one side of the kidney is affected by hydronephrosis, and if both kidneys are affected, then the condition is known as bilateral hydronephrosis. The intensity of the condition can also vary from mild to severe swelling. 

The condition of hydronephrosis can lead to kidney failure or loss of kidney functions. However, in order to decrease the risk of long-term complications, the best urologist in ludhiana may approach some prompt treatments. 

How does a urinary tract work?

The urinary tract is responsible for the removal of waste and fluid from the body, and it consists of the following organs: 

  • Two kidneys: their job is to get rid of toxins and waste present in your blood. 
  • Two ureters: these are the ducts that are responsible for the flow of urine from the kidneys to the bladder. 
  • Bladder: the job of the bladder is to store the urine
  • Urethra: it is a tube that allows the urine out of the body. 

How common is hydronephrosis? 

Affecting 1 out of 100 individuals, people of all ages can be influenced by hydronephrosis at some point in their life. 

In an infant, the condition can occur due to blockage that can take place during foetal development. 1% of pregnancies encounter this condition, which resolves itself before birth most of the time. 

Symptoms of hydronephrosis

Symptoms of hydronephrosis depend on the cause of the condition. Generally the symptoms of the condition can not be seen. In babies, antenatal hydronephrosis does not cause any symptoms after birth. 

In case the symptoms occur, they include: 

  • Intense or sudden pain on your back or your back, abdomen, or side. 
  • Nausea or vomiting
  • Painful urination
  • Urinary tract infection
  • Blood in your urine
  • Urinating less or more than usual

If you have hydronephrosis, the chances of getting a urinary tract infection increase as the urine gets trapped in the body, which causes the bacteria to grow in the urinary tract. The symptoms of urinary tract infection include: 

  • Exhaustion, chills and fever
  • Burning or painful feeling when you pee
  • Cloudy pee, which is not clear

Causes of hydronephrosis

The majority of hydronephrosis cases are caused by blockage or obstruction in some parts of the urinary tract. Many conditions can cause the blockage. 

The conditions that generally cause hydronephrosis in adults include: 

  • Kidney stones: kidney stones are hard deposits composed of calcium and oxalate that can cause blockage in the kidney or the urinary tract. 
  • Ureteral obstruction: It is an obstruction inside the ureters. 
  • Tumours: the urine tract may keep the flow of urine going as a result of a tumour in the organs near the urinary tract, such as the uterus, prostate gland, bladder
  • Benign prostatic hyperplasia (BPH): pressure on the urethra can be increased by the enlargement of the prostate gland. 
  • Narrowing of the urinary tract: this narrowing can be caused by an injury, surgery, infection, or birth disorder. 
  • Nerve or muscle problems: these problems can impact your kidney or ureters
  • Vesicoureteral reflux refers to the flow of urine back into the kidney from bladders. 
  • Uretrocele: this condition refers to the extension of the ureter into the bladder. 

In individuals with uterus, the occurrence of hydronephrosis can be due to: 

  • Pregnancy: as a result of the increasing size of the uterus, the ureter might get pressed, which may result in blocking the flow of urine. 
  • Uterine prolapse: This condition involves the sagging of the uterus and its disposition from its usual place.
  • Cystocele fallen bladder: this condition refers to the bladder falling into the vagina due to the weakening of the wall between the vagina and bladder. 

In babies, antenatal hydronephrosis can take place due to: 

  • The increased amount of urine produced by the foetus. 
  • The blockage in the urinary tract hinders the flow of urine. 
  • Reflux of the urine back into the kidney from the bladder.

These are the symptoms and causes of hydronephrosis. If you see any symptoms of this condition, be sure to contact the best urologist in ludhiana, as the condition, if left untreated, may also result in kidney failure or damage the functions of the kidney.

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किडनी के लिए डायबिटीज की समस्या कैसे खतरनाक है – जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय ?

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मधुमेह गुर्दे के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है, जिससे गंभीर जटिलताएँ पैदा होने की संभावना है। इस स्थिति से किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है और यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) या यहां तक कि किडनी फेलियर भी हो सकता है। इस संबंधित मुद्दे के प्रबंधन में लक्षणों को समझना और निवारक उपायों को लागू करना महत्वपूर्ण है ;

किडनी के लिए डायबिटीज का जोखिम क्या है ?

  • मधुमेह के कारण रक्त शर्करा का स्तर लंबे समय तक बढ़ने से किडनी खराब होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। गुर्दे में छोटी रक्त वाहिकाएँ होती है, जो रक्त से अपशिष्ट को फ़िल्टर करती है। 
  • हालाँकि, लगातार उच्च रक्त शर्करा इन वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता ख़राब हो सकती है। समय के साथ, यह क्षति बढ़ सकती है, जिससे सीकेडी या गुर्दे की विफलता हो सकती है, जिसे मधुमेह अपवृक्कता के रूप में जाना जाता है।

डायबिटीज होने पर किडनी में लक्षण क्या नज़र आते है ?

मधुमेह के कारण गुर्दे की क्षति के प्रारंभिक चरण में अक्सर कोई ध्यान देने योग्य लक्षण दिखाई नहीं देते है। हालाँकि, जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, लक्षणों में निम्न चीजें शामिल हो सकते है ;

सूजन : 

गुर्दे की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी के कारण द्रव प्रतिधारण से पैरों, टखनों या आंखों के आसपास सूजन हो सकती है।

थकान : 

असामान्य रूप से थकान या कमजोरी महसूस होना, जो एनीमिया या शरीर में अपशिष्ट संचय का परिणाम हो सकता है।

पेशाब का बढ़ना :  

सामान्य से अधिक पेशाब आना या रात में बार-बार पेशाब करने के लिए उठना पड़ता है। यदि आपमें पेशाब की समस्या सामान्य से अधिक बढ़ जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

मूत्र में रक्त : 

मधुमेह से संबंधित गुर्दे की क्षति के परिणामस्वरूप मूत्र में रक्त आ सकता है।

मधुमेह की समस्या में किडनी निवारक उपाय क्या है ?

रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करें :

स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा बताए गए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और दवा के माध्यम से रक्त शर्करा के स्तर की लगातार निगरानी और उसे नियंत्रण करें।  

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें :

उच्च रक्तचाप किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। कम सोडियम वाले आहार, नियमित व्यायाम और निर्धारित दवाओं सहित स्वस्थ जीवन शैली के माध्यम से रक्तचाप को नियंत्रित करें।

स्वस्थ जीवन शैली को अपनाएं :

स्वस्थ वजन बनाए रखें, धूम्रपान से बचें, शराब का सेवन सीमित करें और फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें।

नियमित जांच :

किडनी की कार्यप्रणाली की निगरानी के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मिलें। किसी भी समस्या का समय पर पता चलने से त्वरित हस्तक्षेप और प्रबंधन की अनुमति मिलती है।

दवा का पालन :

निर्धारित दवाओं का पालन करें, जिनमें विशेष रूप से गुर्दे की कार्यप्रणाली की रक्षा करने वाली दवाएं, जैसे एसीई अवरोधक या एआरबी शामिल है। इसके अलावा किसी भी ऐसी दवाई का सेवन न करें जो आपके किडनी और पेट में समस्या उत्पन्न कर दें। वहीं अगर आपने दवाई का ज्यादा सेवन कर लिया है, जिसकी वजह से आपके पेट में इंफेक्शन का खतरा उत्पन्न हो गया है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में हर्निया का इलाज जरूर से करवाना चाहिए।

डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को कौन-से किडनी जाँच को करवाना चाहिए ?

  • यूरीन की सामान्य जांच।
  • कम मात्रा में प्रोटीन निकलने की जांच (माइक्रो एल्बुमेनैरिया)।
  • अधिक मात्रा में प्रोटीन निकलने की जांच (मैक्रो एल्बुमिनुरिया)।
  • किडनी की कार्य प्रणाली की जांच (किडनी फं क्शनिंग टेस्ट)।

किडनी की जाँच के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप डायबिटीज की समस्या का सामना कर रहें है, जिसकी वजह से आपको किडनी जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

निष्कर्ष :

  • मधुमेह और गुर्दे के स्वास्थ्य के बीच संबंध एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन सक्रिय उपाय जोखिमों को काफी कम कर देते है। रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करके, रक्तचाप को नियंत्रित करके और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर, व्यक्ति मधुमेह से उत्पन्न होने वाली किडनी संबंधी जटिलताओं की संभावना को काफी कम कर सकते है। नियमित स्वास्थ्य जांच महत्वपूर्ण है, जिससे कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर शीघ्र पता लगाया जा सकता है और हस्तक्षेप किया जा सकता है।
  • जबकि मधुमेह के कारण गुर्दे की क्षति का खतरा एक गंभीर चिंता का विषय है, निवारक उपायों को लागू करने और किसी के स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करने से इन जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। रक्त शर्करा के स्तर और समग्र स्वास्थ्य के प्रबंधन के प्रति सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर, व्यक्ति प्रभावी ढंग से अपनी किडनी की सुरक्षा कर सकते है और अपने समग्र स्वास्थ्य पर मधुमेह के प्रभाव को कम कर सकते है।
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