510-L, Model Town Ludhiana – 141002 (India)

पित्ताशय की पथरी को निकालने के लिए कौन-से डॉक्टर होंगे सहायक ?

Categories
Gallstones Hindi

पित्ताशय की पथरी को निकालने के लिए कौन-से डॉक्टर होंगे सहायक ?

पित्त की थैली में स्टोन का होना एक दर्दनाक स्थिति है, जिसके कारण पित्त की थैली अपने रोजाना के कार्यों को करने में असमर्थ रहती है। वहीं पित्त की थैली में पथरी अगर निकलने का नाम न लें तो इसके लिए आपको पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए किस तरह के डॉक्टर का चयन करना चाहिए और साथ ही क्या पित्त की थैली को निकलवाना सही है या नहीं इसके बारे में भी बात करेंगे ;

पित्ताशय क्या है ?

  • पित्ताशय, पित्त की थैली या गॉलब्लैडर शरीर का छोटा सा अंग होता है। यह लिवर या फिर यकृत के पीछे स्थित होता है। पित्ताशय का मुख्य कार्य पित्त या डाइजेस्टिव फ्लूइड को एकत्रित करना है और उसे पित्त नली से छोटी आंत में ले जाना है। 
  • डाइजेस्टिव फ्लूइड लिवर में बनता है। पित्ताशय नाशपाती के आकार का होता है। कई बार पित्ताशय में पथरी की समस्या हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति को पथरी के इलाज की आवश्यकता होती है। 

पित्त की पथरी क्या है ?

  • पित्त की पथरी को अंग्रेजी भाषा में गॉल स्टोन कहते है। इन पथरी का निर्माण पित्ताशय की थैली में होता है। पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है। यदि सही समय पर दूरबीन द्वारा पथरी का ऑपरेशन नहीं होता है तो पित्त की पथरी के कारण रोगी को अत्यधिक दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है और वह जमने लगता है, तो व्यक्ति को पित्त की पथरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। पित्त की पथरी के कारण रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण रोगी को पाचन संबंधित समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।

पित्त में गंभीर पथरी होने पर आपको लुधियाना में पित्त पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार क्या है ?

पित्त की पथरी का इलाज तभी सही तरीके से किया जा सकता है जब हमे पता हो की पित्त की पथरी कितने प्रकार की होती है, तो सामान्यतः ये दो तरह के होते है जैसे ;

  • कोलेस्ट्रॉल वाली पथरी, जोकि पित्ताशय की पथरी का सबसे आम प्रकार है। यह लगभग 80 से 85% मामलों के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि जो पथरी कोलेस्ट्रॉल से बनती है वह कोलेस्ट्रॉल पथरी कहलाती है। यह पित्त में पाया जाने वाला एक वसायुक्त पदार्थ है। यह पथरी आकार और रंग में भिन्न हो सकती है। अधिकतर मामलों में पथरी का रंग पीला और हरा होता। कोलेस्ट्रॉल की पथरी तब विकसित होती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित नहीं होती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में कोलेस्ट्रॉल मात्रा बढ़ जाती है और यह जमने लग जाते है। 
  • पिगमेंट वाली पथरी, मुख्य रूप से बिलीरुबिन से बनती है। बिलीरुबिन एक प्रकार का पदार्थ है जो रेड ब्लड सेल्स के टूटने के बाद उत्पन्न होने वाले वेस्ट प्रोडक्ट से बनता है। इस प्रकार की पथरी का निर्माण कैल्शियम से भी हो सकता है, जो पित्त में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल की पथरी के विपरीत, ये पथरी आम तौर पर छोटी और गहरे रंग की होती है। जब पित्त में बिलीरुबिन की मात्रा अत्यधिक हो जाती है तो पित्त अपना काम नहीं कर पाती है, जिसके कारण पित्त की पथरी का निर्माण होता है। 

पित्ताशय की पथरी के कारण अगर आपको मूत्र संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

क्या पथरी होने पर पित्त की थैली को निकलवाना सही है ?

  • अगर आपकी पथरी का आकार सामान्य से ज्यादा बढ़ चुका है और उसमे इंफेक्शन ने भी घर कर लिया है तो सर्जरी भी इस समस्या का इलाज आसानी से नहीं कर पाती है इसलिए ऐसे में आपको पित्त की थैली को भी बाहर निकलवाने के बारे में सोचना चाहिए। 
  • वहीं पित्ताशय की पथरी का जड़ से इलाज करने के लिए पित्ताशय को शरीर से अलग करना ही एकमात्र टिकाऊ उपाय है। लेकिन, अगर यह प्रक्रिया ओपन सर्जरी द्वारा की जाती है तो साइड-इफेक्ट्स का खतरा ज्यादा होता है। तो आइये जानते है कि पित्ताशय हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्या फायदे हो सकते है।
  • कोई बड़ा कट नहीं होता है और रिकवरी में बहुत कम समय लगता है।
  • घाव में इन्फेक्शन होने के चांस बहुत कम होते है, क्योंकि, इलाज के दौरान बहुत छोटा कट होता है।
  • सर्जरी के बाद कोई साइड-इफ़ेक्ट नहीं होते है।
  • पेशेंट को 48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।

पित्त की थैली को हटाने के नुकसान क्या है ?

  • इसके नुकसान में आपको खाना पचाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 
  • गाल-ब्लैडर को हटाने के लिए या तो ओपन सर्जरी या फिर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल होता है। ओपन सर्जरी में घाव बड़ा होता है जबकि, लेप्रोस्कोपिक में छोटा कट होता है। इसलिए सर्जरी वाली जगह में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
  • आपको गाल-ब्लैडर को हटाने के बाद दर्द और सूजन की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। 
  • खून का थक्का बनने जैसी समस्या का भी आपको सामना करना पड़ सकता है। 
  • हर्निया भी क्षतिग्रस्त हो जाती है। 
  • बुखार, कब्ज और ह्रदय संबंधी समस्या का भी आपको सामना करना पड़ सकता है। 

पित्त की थैली को हटवाने के बाद रिकवरी पाने के लिए किन बातों का रखें ध्यान ? 

  • दो सप्ताह तक कोई भी फिजिकल वर्क न करें। क्युकि इस दौरान आपको आराम कि सख्त जरूरत है।
  • अपने जख्म को नियमित रूप से साफ़ करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई क्रीम लगाएं।
  • कुछ दिनों तक ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें, कठोर पदार्थ खाने से परहेज करें।
  • कुछ हफ्तों के लिए अत्यधिक नमकीन, मीठा, मसालेदार या वसायुक्त भोजन करने से बचें।
  • पाचन बढ़ाने के लिए फाइबर का अधिक सेवन करें, लेकिन नट्स, बीज, साबुत अनाज, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, फूलगोभी, गोभी, आदि का सेवन करने से बचें।

रिकवरी के दौरान रोगी में किस तरह के लक्षण नज़र आते है ?

  • तेज दर्द जोकि हमेशा रोगी में बना रहता है। 
  • बार-बार पेट में दर्द की समस्या का सामना करना। 
  • मतली और उल्टी की समस्या। 
  • गैस या मल निकालने में परेशानी का सामना। 
  • दस्त और पीलिया की समस्या।

पित्त की थैली को निकलवाने के लिए किन डॉक्टर से लें सलाह !

अगर आप पित्ताशय की थैली को निकलवाने के बारे में सोच रहें है, तो इसके लिए आप “गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन” का चयन कर सकते है।

ध्यान रखें :

अगर आपके पित्ताशय में पथरी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है, तो इससे बचाव के लिए पित्ताशय की थैली को बाहर निकालने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। और इस थैली को बाहर निकलवाने से पहले इसके नुकसान क्या हो सकते है इसके बारे में जरूर जानकारी लें। 

वहीं इस सर्जरी को आप चाहें तो आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

पित्ताशय की थैली में पथरी के कारण इंफेक्शन जब ज्यादा बढ़ जाए तो इससे बचाव के लिए आपको इस थैली को ही बाहर निकलवा लेना चाहिए। पर इसके लिए आपको किसी अनुभवी डॉक्टर का चयन करना चाहिए, और साथ ही डॉक्टर की शिक्षा के बारे में भी आप डॉक्टर से जरूर पूछे, ताकि सर्जरी के दौरान किसी भी तरह की समस्या न हो सकें।  

Categories
Urinary Problems

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) या दर्दनाक मूत्राशय सिंड्रोम के क्या है – लक्षण, कारण और उपचार के तरीके?

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC), जिसे दर्दनाक मूत्राशय सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, जोकि एक पुरानी मूत्र संबंधी स्थिति है जो मूत्राशय की दीवारों को प्रभावित करके व्यक्ति के लिए काफी समस्या खड़ी कर देते है। जिससे सूजन और असुविधा की समस्या उत्पन्न होती है। वहीं यह स्थिति कई प्रकार के लक्षण पैदा कर सकती है जो दैनिक जीवन को काफी हद्द तक प्रभावित करते है। तो आइए इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस के प्रकार, लक्षण और इससे बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानते है ;

इंटरस्टीशियल सिस्टिटिस (IC) क्या है ?

  • इंटरस्टीशियल सिस्टिटिस (IC) को आमतौर पर आपके मूत्राशय में उत्पन्न होने वाली समस्या के रूप में जाना जाता है, वहीं मूत्राशय की बात करें तो ये गुर्दे द्वारा फ़िल्टर किए जाने के बाद मूत्र को संग्रहीत करता है। और इसका विस्तार तब तक होता रहता है जब तक कि यह पूर्ण न हो जाए। यह एक पुरानी, ​​लंबे समय तक चलने वाली मूत्र स्थिति है जो मुख्य रूप से दर्दनाक पेशाब की विशेषता है। 
  • इसे दर्दनाक मूत्राशय सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है। और इसमें दर्द हल्के से मध्यम से गंभीर तक भिन्न हो सकते है। 
  • वहीं यह स्थिति पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है और किसी की जीवन शैली पर दीर्घकालिक प्रभाव डालती है। 

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) के क्या कारण है ?

  • मूत्राशय में जलन के एक स्रोत का उत्पन्न होना।
  • शरीर में सूजन जिसके कारण कुछ अन्य पदार्थों की रिहाई होती है, जो लक्षणों का एक प्रमुख कारण बनती है।
  • मूत्राशय की आपूर्ति करने वाली नसों में समस्या दर्द का कारण बन सकती है।
  • तनाव, चिंता या कोई भावनात्मक विकार का सामने करने के कारण ये समस्या उत्पन्न होती है। 
  • मासिक धर्म होने के कारण भी ये समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • मूत्र पथ के संक्रमण से अगर आपके परिवार में कोई सामना कर रहा है तो, घर का दूसरा व्यक्ति जरूर इस समस्या से ग्रस्त होगा।  
  • लंबे समय तक मूत्र को पकड़े रहना या लगातार मूत्र आने के कारण। 
  • कुछ एलर्जी भी इसके कारण में शामिल हो सकते है। 
  • मौसम में बार-बार बदलाव के कारण भी आप इस तरह की समस्या का सामना कर सकते है। 
  • लंबे समय तक लगातार खड़े होने के कारण भी आपको इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

मूत्र पथ में किसी भी तरह की समस्या अगर नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट के पास आना चाहिए।

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) के प्रकार क्या है ?

इसके प्रकार को चार भागों में बाटा गया है, जैसे –

  • सबसे पहले अल्सरेटिव आईसी, की बात करें तो इसमें मूत्राशय की दीवारों पर अल्सर (छाले) होते है, जिससे दर्द और असुविधा होती है।
  • फिर गैर-अल्सरेटिव आईसी, में व्यक्तियों को अल्सर के बिना मूत्राशय में सूजन का अनुभव होता है।
  • हनर अल्सर के साथ इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस, में मूत्राशय की दीवार पर सूजन और क्षति के विशिष्ट क्षेत्र है, जो अक्सर गंभीर दर्द का कारण बनते है।
  • मूत्राशय दर्द सिंड्रोम (बीपीएस), शब्द कभी-कभी आईसी के साथ परस्पर उपयोग किया जाता है और क्रोनिक मूत्राशय दर्द और असुविधा को संदर्भित करते है।

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) के दौरान व्यक्ति किस तरह के लक्षण का अनुभव करते है ?

  • जल्दी पेशाब का आना। 
  • आग्रह या पेशाब करने की अचानक और तीव्र इच्छा का अनुभव होना जिसे नियंत्रित करना कठिन हो सकता है।
  • मूत्र त्याग करने में असहनीय दर्द का सामना करना। 
  • महिलाओं को योनि और गुदा के बीच दर्द का अनुभव होना और पुरुषों में अंडकोश और गुदा के बीच दर्द का अनुभव होना।  
  • लगातार पेशाब करने की इच्छा का होना। 
  • लगातार पेशाब का आना। 
  • मूत्राशय भर जाने पर दर्द का होना। 
  • संभोग के दौरान तेज दर्द का अनुभव होना। 

अगर आपको मूत्राशय में गंभीर जलन के कारण पथरी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको पित्त पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) के मरीज को किन खाने की चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए !

  • अगर आप इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) रोग से पीड़ित है, तो ऐसे में आपको अपने सेहत के साथ-साथ अपने खान-पान का भी अच्छे से ध्यान रखना चाहिए, क्युकि इस समस्या में अगर आप कुछ खाने की चीजों से परहेज नहीं करते तो ये आपके लक्षण को और बढ़ा सकते है। 
  • वहीं खाने की चीजों की बात करें तो IC के मरीज को कॉफी, सोडा, शराब, टमाटर, गर्म और मसालेदार भोजन, चॉकलेट, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, खट्टे रस और पेय, एमएसजी, और उच्च एसिड खाद्य पदार्थ से दुरी बनाकर रखना चाहिए, नहीं तो ये चंद खाने की चीजे आपकी जान की दुश्मन बन सकती है।

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (IC) का इलाज कैसे किया जाता है?

  • जीवन शैली में परिवर्तन लाकर आप इस तरह की समस्या से खुद का बचाव कर सकते है। 
  • आहार में परिवर्तन लाकर भी आप इस तरह की समस्या से खुद का बचाव कर सकते है।
  • मूत्राशय का प्रशिक्षण करवाते रहना समय-समय पर।  
  • ढीले-ढाले कपड़े पहने ताकि आपको परेशानी न हो। 
  • तनाव से बचे। 
  • धूम्रपान को छोड़ने की कोशिश करें। 
  • रोजाना व्यायाम करें। 
  • वहीं डॉक्टर इसका इलाज मौखिक दवाएं देकर भी करते है अगर लक्षण ज्यादा गंभीर न हो तो। 
  • दवाइयों में आपको गैर-स्टेरायडल विरोधी भड़काऊ दवाएं (NSAIDS)।
  • ट्राईसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट दवाई। 
  • एंटीथिस्टेमाइंस। 
  • पेंटोसन पॉलीसल्फेट सोडियम। 
  • वहीं अगर दवाई से कुछ फ़ायदा न हो तो सर्जिकल विकल्प का सहारा लिया जाता है, जैसे –
  • पूर्णता और इसमें व्यक्ति की समस्या का पूर्ण रूप से खात्मा किया जाता है।  
  • मूत्राशय वृद्धि को रोकने के लिए सर्जरी का चयन करना।  

आप इस सर्जरी को चाहे तो वाजिफ दाम में आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से भी करवा सकते है, वहीं इस हॉस्पिटल में डॉक्टर पहले मरीज के लक्षणों को जानने के बाद उसके उपचार की शुरुआत करते है, और कई बार तो इस समस्या को जानने के लिए डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट करवाने को भी कह सकते है।

 

Categories
Kidney Diseases

पेशाब की नली में है इन्फेक्शन : तो जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार ?

पेशाब की नली में इन्फेक्शन मूत्राशय और मूत्रमार्ग का इन्फेक्शन है। इसे यूटीआई भी कहा जाता है। वहीं पेशाब की नली में संक्रमण होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया है। कुछ इन्फेक्शन फंगी के कारण भी ऐसा होता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में यह वायरल होता है। ये वायरल क्यों किसे और किन कारणों से होता है और साथ ही इसके लक्षण क्या नज़र आते है, वहीं इस समस्या से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

पेशाब की नली में इन्फेक्शन का होना क्या है ?

  • यह मनुष्यों के शरीर में होने वालें सबसे आम संक्रमण में से एक है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इसका खतरा सबसे अधिक होता है। अगर यह संक्रमण केवल पेशाब की नली तक सीमित रहता है तो दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर ये इन्फेक्शन गुर्दे तक फैल जाते है तो समस्या और भी बढ़ सकती है, जैसे आपको पथरी की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है 
  • वहीं सही से पानी न पीने और लंबे समय तक मूत्र को रोककर रखने के कारण भी यूरिन इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा मधुमेह, गर्भवास्था औऱ मोनोपॉज के समय भी यूरिन इंफेक्शन हो जाता है। 
  • इसमें बार-बार यूरिन का आना, यूरिन में जलन होना, यूरिन के साथ खून का आना, पेड़ू या पेट के निचले हिस्से में दर्द का होना जैसी समस्याएं आपमें होने लगती है। वो भी पेशाब की नली में इन्फेक्शन के कारण।

यदि पेशाब की नली में इन्फेक्शन के कारण आपको गुर्दे में पथरी की समस्या हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में गुर्दे की पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन के क्या कारण है ?

  • मूत्र मार्ग में अवरुद्धता का आना। 
  • गर्भावस्था के कारण। 
  • रजोनिवृत्ति का समय पर न आना या बंद होना।  
  • बहुत अधिक सेक्स करना। 
  • कई पार्टनर्स के साथ संबंध बनाना। 
  • मूत्राशय का खाली न होना। 
  • आंत्र की समस्याओं का सामना करना। 
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना।  
  • अधिक समय तक स्थिर रहना (immobility)।
  • किडनी स्टोन की समस्या। 
  • डायबिटीज की समस्या। 
  • एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग करने से मूत्र पथ का ब्लाक होना।
  • टैम्पोन का उपयोग आदि। 

पेशाब करने पर जलन होने के दौरान कौन-से लक्षण नज़र आते है ?

  • पेशाब करने पर जलन का महसूस होना। 
  • पेशाब के साथ खून का निकलना। 
  • मूत्र के रंग में परिवर्तन का आना। 
  • महिलाओं के श्रोणि क्षेत्र में दर्द का होना। 
  • तुरंत पेशाब करने की जरूरत का महसूस होना। 
  • पुरुषों के मलाशय में दर्द का होना। 
  • ब्लैडर खाली न होना और बार-बार पेशाब का आना। 
  • मूत्र के गंध में परिवर्तन का आना।

यदि मूत्र मार्ग में जलन जैसी समस्या का आप सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन होने पर किन बातों का रखें ध्यान ?

  • पानी का भरपूर सेवन करें। यह मूत्र को पतला करता है और बैक्टीरिया शरीर के बाहर निकालने में मददगार है।
  • कॉफ़ी, शराब, सॉफ्ट ड्रिंक, साइट्रस ड्रिंक और कैफीन के सेवन से बचें। यह पदार्थ आपके मूत्राशय को परेशान कर सकते है।
  • पेट के ऊपर हीटिंग पैड रख सकते है। यह संक्रमण के दर्द को कम करेगा। पर ध्यान रहें पैड ज्यादा गर्म न हो।
  • संभोग करने से बचें। अगर करते है, तो तुरंत बाद पेशाब करें और एक गिलास पानी पिएँ।
  • क्रैनबेरी जूस का सेवन करें। यह पेशाब की नली में इन्फेक्शन का उपचार तो नहीं करता लेकिन इसे होने से रोकता है।
  • महिलाएं योनि में डिओडोरेंट, स्प्रे या डूश के उपयोग से बचें।

मूत्र नली के इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है ?

  • मूत्र नली में इन्फेक्शन के कारण की बात करें तो वो है बैक्टीरिया। इसलिए डॉक्टर बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं की मदद लेकर करते है।
  • वहीं मूत्र मार्ग या यूरिनरी ट्रैक्ट के जिस भाग में संक्रमण होता है, उसके हिसाब से एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। अगर इन्फेक्शन मूत्रमार्ग और मूत्राशय तक ही सीमित है तो मौखिक रूप से एंटीबायोटिक दवा दी जाती है।
  • वायरल इन्फेक्शन और फंगल इन्फेक्शन का उपचार एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है और फंगल इन्फेक्शन का एंटीफंगल दवाओं से। वायरल यूटीआई में सिडोफोविर ड्रग चिकित्सकों की पहली पसंद है, क्योंकि यह सामान्य वायरल रोगजनकों के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करता है।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन का पता कैसे लगाया जा सकता है ? 

  • इसका पता लगाने के लिए आप मूत्र का विश्लेषण करवा सकते है। 
  • अल्ट्रासाउंड, कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (CT), या एमआरआई (MRI) की मदद से भी इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। 
  • इंट्रावेनस पाइलोग्राम (IVP) का चयन। 
  • सिस्टोस्कोपी का चयन। 

ध्यान रहें :

अगर आपके मूत्र नली में इन्फेक्शन की समस्या लगातार बढ़ते जा रहीं है, तो इससे बचाव के लिए आपको अपने सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए और गंभीर समस्या ज्यादा न बढ़े उससे पहले ही आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन कर लेना चाहिए। 

निष्कर्ष :

मूत्र नली में समस्या का आना मतलब आपके लिए काफी परेशानी खड़ी कर सकता है, इसलिए जरूरी है की आपको इससे बचाव के लिए जिन भी जरूरी बातो का ध्यान रखना चाहिए उसको जरूर से रखें।

Categories
Gallstones

पित्त की पथरी से बचाव के क्या है – लक्षण, कारण और इलाज के तरीके ?

पित्त की पथरी जोकि रह-रह कर व्यक्ति को काफी परेशान करती है, क्युकी इस बीमारी में व्यक्ति को हमेशा दुःख का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस पथरी से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है, इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ; 

पित्त की पथरी के कारण क्या है ?

  • आपके पित्त में बहुत अधिक मात्रा में जब कोलेस्ट्रॉल उपस्थित होता है। तो आपके पित्ताशय द्वारा स्रावित पित्त में आपके लीवर द्वारा उत्पादित कोलेस्ट्रॉल को तोड़ने के लिए आवश्यक तत्व इसमें शामिल होते है। यदि आपके लीवर द्वारा बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल उत्पादित किया जा रहा है तो पित्ताशय की थैली में पथरी बनना संभव है।
  • आपके पित्त स्राव में बिलीरुबिन का स्तर ज़रूरत से ज़्यादा है। वहीं जब आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की टूट-फूट होती है, तो बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है। 
  • आपके गॉलब्लैडर के ख़ाली होने में दिक़्क़त है। यदि आपका पित्ताशय पूरी तरह से या अक्सर पर्याप्त रूप से खाली नहीं होता है, तो एकदम गाढ़े पित्त का संग्रहण होने लगता है, जिसके कारण पित्त पथरी बन सकती है।

क्या है पित्त की पथरी की समस्या ?

  • पित्ताशय की थैली एक छोटा अंग है, जो व्यक्ति के ऊपरी पेट में यकृत के ठीक ऊपर और दाईं ओर उपस्थित होता है। पित्त, एक हरा-पीला तरल जो पाचन में सहायता करता है, और इस थैली में जमा होता है। पित्त पथरी या पित्त नली में अन्य रुकावट, पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाली अन्य समस्याएँ पैदा कर सकती है। 
  • पित्त पथरी का सबसे आम कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल जैसे कठोर यौगिक पदार्थ है।
  • वहीं पित्त में पथरी तब होती है जब उसमें कोलेस्ट्रॉल इक्ठ्ठा होने लगता है। और ऐसा होने पर कोलेस्ट्रॉल एक जगह होने की वजह से सख्त हो जाता है और यह छोटे-छोटे पत्थरों का रूप धारण कर लेता है। अगर शुरूआती समय पर इसमें ध्यान नहीं दिया जाए तो पथरी का आकार बढ़ने लगता है और अंत में पथरी के लिए सर्जरी करवाना ही एक आख्रिरी विकल्प बचता है।

अगर पित्त की पथरी सामान्य आकार से ज्यादा बड़ी हो गई है, तो इसके इलाज के लिए आपको लुधियाना में पित्ताशय की पथरी की सर्जरी का चयन कारण चाहिए। 

लक्षण क्या है पित्त की पथरी के ?

  • दाहिनी ओर पसली पिंजरे के नीचे दर्द या कोमलता।
  • कंधे के ब्लेड के बीच दर्द। 
  • मल हल्का या चाकलेट जैसा रंग 
  • वसायुक्त मल। 
  • खाने के बाद अपच, विशेष रूप से वसायुक्त भोजन। 
  • भोजन न पचने का भाव। 
  • मतली और चक्कर का आना। 
  • दस्त की समस्या। 
  • सूजन और पेट में गैस की समस्या। 
  • उल्टी या कब्ज की समस्या। 
  • आँखों के ऊपर सिर दर्द, विशेषकर दाहिनी ओर। 
  • खाने के बाद कड़वे द्रव का आना। 
  • मूत्र करने में परेशानी का सामना करना।

यदि आपको पथरी की वजह से मूत्राशय संबंधित किसी भी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

पित्त की पथरी से कैसे करें खुद का बचाव ?

  • स्वस्थ शरीर और वजन को बनाए रखें। 
  • तेजी से वजन घटाने और सनक भरे आहार से बचें। 
  • लिवर और गॉलब्लैडर को स्वस्थ रखने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार का पालन करें। 
  • अधिक सक्रिय रहें। 
  • जन्म नियंत्रण की गोलियाँ या अनावश्यक दवाएं लेने पर एक बार विचार जरूर करें। 
  • पानी का खूब सेवन करें। 
  • अपने खाने का अच्छे से ध्यान रखें। 

और पथरी की समस्या से बचाव के लिए एक बार अपने डॉक्टर से जरूर अपने डाइट चार्ट के बारे में चर्चा करें।

पित्त की पथरी का इलाज क्या है ?

  • पित्त की पथरी के इलाज के लिए पहले डॉक्टर सामान्य दवाइयों से इसे काबू करते है, लेकिन जब पथरी का आकर सामान्य से ज्यादा बड़ा हो जाए तो इसके लिए डॉक्टर के द्वारा, पित्त पथरी के लिए सर्जिकल उपचार का चयन किया जाता है। 
  • ओपन सर्जरी का चयन भी उनके द्वारा किया जाता है।  

अगर आप भी पित्त की पथरी की समस्या से बहुत ज्यादा परेशान हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

निष्कर्ष :

पित्त की पथरी काफी खतरनाक समस्या है, इसलिए जरूरी है की इसके लक्षणों पर व्यक्ति को खास नज़र रखना चाहिए, ताकि शुरुआती दौर में ही पथरी का इलाज बिना सर्जरी के मुकमल किया जा सके, लेकिन ये तभी हो सकता है जब आप अपने सेहत के प्रति सक्रिय रहेंगे।  

 

Categories
Hindi

पथरी के कारण अगर आपके कमर में भी रहता है दर्द, तो जानिए क्या है इसके कारण, लक्षण व बचाव के तरीके?

किडनी में पथरी की समस्या हर मार्ग पर व्यक्ति के लिए बाधा बन कर सामने आ रही है, क्युकी इसके दर्द का सामना करना काफी मुश्किल होता है व्यक्ति के लिए। इसके अलावा पथरी के कारण व्यक्ति को और भी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, वही पथरी के कारण अगर आपको कमर में दर्द की समस्या है तो जानेगे की इस दौरान व्यक्ति में और किस तरह के लक्षण नज़र आते है ;

किडनी में पथरी कैसे बनती है ?

  • पथरी जोकि मिनरल्स और नमक जैसे पदार्थो से बनी एक ठोस जमावट होती है, जो की आजकल बहुत ही आम समस्या हो गयी है और जिस वजह से कमर दर्द की भी समस्या बढ़ती जा रही है। 
  • आमतौर पर पथरी किडनी, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय में देखी जाती है।

किडनी में पथरी के दौरान कमर दर्द के क्या लक्षण नज़र आते है ? 

  • पीठ में या पेट के पास असहनीय दर्द का सामना करना। 
  • दर्द के साथ बार-बार यूरीन आने की समस्या का सामना करना।                   पेशाब के साथ खून आने की समस्या का सामना करना। 
  • उल्टी आने की समस्या को झेलना। 
  • बदबूदार यूरीन का आना। 
  • बैठने में परेशानी का सामना करना। 
  • बुखार और ठंड का महसूस होना। 
  • किडनी और पेट में सूजन की समस्या का सामना। 
  • पेशाब करने पर जलन का महसूस होना। 

अगर आपको पथरी के दौरान यूरीन से संबंधित कोई समस्या है, तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

पथरी होने के क्या कारण है ?

  • पारवारिक इतिहास इसके कारण में शामिल है। 
  • मोटापे को भी इसके कारण में हम शामिल कर सकते है। 
  • रक्त चाप का हाई होना। 
  • खानपान में प्रोटीन और सोडियम अधिक मात्रा में होना और कैल्शियम की मात्रा में कमी का आना। 
  • व्यायाम की कमी भी इसके कारण में शामिल है। 

पथरी के कारणों को जानकर आप लुधियाना में गुर्दे की पथरी की सर्जरी से खुद का बचाव कर सकते है।

पथरी के कारण हो रहें दर्द की समस्या से बचाव !

  • अगर आपको पथरी के कारण कमर दर्द की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको गर्म सिकाई का चयन करना चाहिए। वहीं आप इस सिकाई को कमर के निचले हिस्से में करते है या प्रभावित हिस्से में करते है तो आपको दर्द से काफी आराम मिलता है। 
  • किडनी में पथरी होने की वजह से अगर आपके कमर में भी काफी दर्द की समस्या रहती है, तो इस दर्द से राहत पाने के लिए आप तुलसी का सेवन कर सकते है। इसको बनाने के लिए आप एक बड़े चम्मच तुलसी के जूस को और शहद को एक गिलास पानी में मिलाएं और इसका सेवन करें। ऐसा करने से आप पथरी के कारण कमर दर्द की समस्या से भी छुटकारा पाने में सक्षम हो पाते है।
  • पानी का सेवन पथरी के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, इसलिए किडनी में पथरी की समस्या से राहत पाने के लिए पानी को खूब पिए। वहीं पानी किडनी में पथरी को घोलने में काफी मदद करते है, जिससे यह आसानी से निकल जाएं। इसलिए दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी का सेवन आपको जरूर करना चाहिए 
  • पथरी के मरीजों को ग्रीन टी का खूब सेवन करना चाहिए, ऐसा इसलिए क्युकि इसमें ड्यूरेटिक प्रोपर्टीज होती है, जो कि किडनी की पथरी को घोलने में मदद करती है और साथ ही पथरी के दर्द को भी कम करती है। इसलिए आप एक चम्मच ग्रीन-टी को एक कप पानी में उबाल कर छान लें और इसका रोज सेवन करें। कम से कम दिन में 2 कप ग्रीन-टी का सेवन करें। ऐसा करने से पथरी के कारण जो कमर दर्द की समस्या होती है, उससे आप राहत पा सकते है।
  • नींबू भी पथरी के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, वहीं नींबू में सिट्रस और एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते है, जो की किडनी में पथरी को ख़त्म करने में मदद करते है। इसलिए रोजाना नियमित रूप से एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ कर इसमें थोड़ा शहद मिला लें और इसका सेवन दिन में कम से कम दो बार जरूर करें। 

पथरी से बचाव के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

आप चाहे तो पथरी का इलाज उपरोक्त उपायों की मदद से भी कर सकते है या फिर अगर आपको पथरी के कारण बहुत ज्यादा कमर में दर्द की समस्या है, तो इससे बचाव के लिए आप आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से जरूर संपर्क करें।

Telephone Icon
whatsup-icon