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पित्ताशय की पथरी होने के मुख्य लक्षण, कारण और कैसे किया जाता है इलाज ?

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पित्ताशय की पथरी होने के मुख्य लक्षण, कारण और कैसे किया जाता है इलाज ?

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पित्ताशय की पथरी, पित्ताशय में बनने वाले छोटे और कठोर पदार्थ का जमाव होते है, जो अक्सर यकृत के नीचे स्थित एक नाशपाती के आकार के अंग में उत्पन्न होते है | पित्ताशय की पथरी के आकार और संरचना बिलकुल विभिन्न होते है, जो सख्त टुकड़े की तरह होते है और इसका आकार रेत के दाने से लेकर गोल्फ गेंद जितना हो सकता है | पित्ताशय की पथरी को मेडिकल टर्म में कोलेलीथियसिस भी कहा जाता है | आइये जानते है पित्ताशय की पथरी से जुड़े कुछ ज़रूरी बातें :-

 

पित्ताशय की पथरी से जुड़े कुछ ज़रूरी बातें :- 

  • पित्ताशय की पथरी, पित्त में मौजूद रासायनिक संरचना में हुए असंतुलन के कारण बनता है | 
  • अधिकतर मामलों में जब पित्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी अधिक हो जाता है तो इससे अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल पथरी में तब्दील हो जाते है | 
  • अगर आपका वजन नियमित रूप से अधिक है या फिर आप मोटे है तो, इससे पित्ताशय की पथरी होने का खतरा सबसे अधिक हो जाता है | 
  • जिन महिलाओं की उम्र 40 या फिर इससे भी अधिक होती है तो उसे भी पित्ताशय की पथरी होने की संभावना सबसे अधिक होती है | 
  • ज्यादातर मामलों में पित्ताशय की पथरी पीड़त व्यक्ति के लिए किसी भी तरह के रुकावट को उत्पन्न नहीं करता है और यह आमतौर दर्द से रहित होता है |  
  • यदि पित्ताशय की पथरी होने के लक्षण दिखायी देते है तो इलाज के तौर पर डॉक्टर पित्ताशय की थैली को हटाने की सर्जरी करने की सलाह दे सकता है | 

 

पित्ताशय की पथरी, बाकि पथरी की तुलना में सबसे कम लक्षण और समस्या को उत्पन्न करता है, जिससे मेडिकल टर्म में साइलेंट गॉलब्लैडर स्टोन भी कहा जाता है  | यदि आपको पित्ताशय की पथरी से अधिक परेशानी होने का आभास हो रहा है तो बेहतर यही है कि इलाज के लिए आप तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श करें | इसके लिए आप आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | आइये जानते है पित्ताशय की पथरी होने के मुख्य लक्षण एवं कारण क्या है | 

 

पित्ताशय की पथरी के मुख्य लक्षण 

वैसे तो पित्ताशय की पथरी से पीड़ित बहुत से व्यक्तिओं को कुछ खास लक्षणों से सामना नहीं करना पड़ता और कई बार तो उन्हें इस बात का पता ही नहीं लगता की उनके पित्ताशय में पथरी है भी या फिर नहीं | हालांकि जब इससे जुड़े लक्षण सामने आते है तो वह काफी असहज होते है | पित्ताशय की पथरी से सबंधित लक्षणों में शामिल है, पेट के ऊपर दाहिनी हिस्से में या फिर कंधे के नीचे अचानक से तीव्र दर्द होने लग जाता है, जो अक्सर वसायुक्त भोजन के बाद अहसास होता है | यह दर्द मतली, उलटी, सूजन और अपच जैसी समस्या के साथ उत्पन्न हो सकता है, जिसे पित्त संबंधी शूल के रूप से भी जाना जाता है | पीलिया एक ऐसी समस्या है, जो आँखों में त्वचा के रंग में हुए पीलेपन के रूप से जाना जाता है, यह तब होता है जब कोई पथरी पित्त की नली को अवरुद्ध कर देती है |      

 

पित्ताशय की पथरी के मुख्य कारण  

पित्त की पथरी का निर्माण अक्सर कोलेस्ट्रॉल, पित्त में मौजूद लवण और बिलीरुबिन में हुए असंतुलन होने के कारण होता   है | कोलेस्ट्रॉल से पथरी तब बनता है जब पित्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से यह धीरे-धीरे पथरी में तब्दील होना शुरू हो जाती है | इसके अलावा जब पित्ताशय ठीक से खाली नहीं होता है तो इससे पित्त गाढ़ा होने लग जाता है और इससे पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है | मोटापा भी एक ऐसा कारण है जो पित्त की पथरी बनने के जोखिम कारण को बढ़ाता है | इसके साथ ही वसायुक्त भोजन का सेवन करने से भी शरीर में पित्त का निर्माण सबसे अधिक होता है |  

 

पित्ताशय की पथरी से कैसे करें बचाव ?   

पित्ताशय की पथरी से बचाव करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का अनुसरण कर सकते है :- 

 

  • नियमित रूप से वजन को घटाएं :- शरीर का मोटापा पित्ताशय की पथरी के जोखिम कारक को बढ़ाता है, इसलिए वजन को नियमित रूप से घटाएं |  

 

  • संतुलित भोजन का सेवन करें :- अपने रोज़ाना डाइट में फल, हरी सब्ज़िया, सबूत अनाज, कम वसा वाले डेयरी से बने उत्पाद आदि को को शामिल करें | 

 

  • भरपूर मात्रा में फाइबर युक्त आहार लें :- फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ पित्त की पथरी के खतरे को कम करने में काफी मददगार होते है, इसलिए अपनी रोज़ाना डाइट में फाइबर युक्त भोजन को शामिल करें | 

 

  • रोज़ाना व्यायाम करें :- रोज़ाना नियमित समय तक व्यायाम करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ रहता है और यह पित्ताशय की पथरी होने की संभावना को भी कम करता है | 

कैसे किया जाता है पित्ताशय की पथरी का इलाज ? 

पित्ताशय की पथरी का सटीक इलाज, केवल उनके आकार, संरचना और उपस्थित लक्षणों पर निर्भर करता है | लक्षणों के न दिखने के कारण अधिकतर मामलों में पित्ताशय की पथरी के उपचार की ज़रुरत नहीं पड़ती | यदि लक्षण मौजूद है या फिर इससे जुडी जटिलताएं उत्पन्न हो रही है तो इलाज के तौर पर सर्जन लैप्रोस्कोपी सर्जरी के ज़रिये पित्ताशय की थैली को ही हटा देता है | 

पित्ताशय की पथरी अधिकतर मामलों में व्यक्ति के लिए किसी भी तरह के परेशानी को खड़ा नहीं करते है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति पित्ताशय की पथरी से जुड़े लक्षणों से परेशान है तो इलाज के लिए आप आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था में मौजूद सभी डॉक्टर्स पंजाब के बेहतरीन उरोलॉजिस्ट एंड गैस्ट्रोएनलोगिस्ट में से एक है, जो आपकी समस्यों से छुटकारा दिलाने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आज ही आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और इलाज के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर संस्था से चयन कर सकते है |   

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The Gallbladder Containing Bile: A Comprehensive Guide

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The gallbladder is a small sac containing bile, the digestive juice made by the liver to break down dietary fats. It extracts water from its stored bile until the fluid becomes highly concentrated. The gallbladder squeezes its bile concentrate when fatty foods are present in the small intestine.

What are gallstones?

Gallstones are small stones made of cholesterol and bile pigment, usually in the form of calcium salts. They form in the digestive system and affect about 15% of people over 50.

Sometimes some people suffer from Gallstones, which usually occur between the neck and hip, but Gallstone surgery in Ludhiana provides all the medical solutions for this problem.

After a gallbladder medical procedure, it’s critical to heed the guidance of your PCP, yet here are some broad taking care of oneself tips to remember: attempt to get as much rest as possible for no less than three to five days. Do no hard work or actual work for a couple of days. Your stomach related framework ought to settle down following a couple of days, however be ready for a few transient issues like swelling, stomach agony, and changes to your latrine propensities.

 

For what reason do medical care experts perform cystoscopy?

A urologist plays out a cystoscopy to track down the reason for, and once in a while treat, urinary plot issues, for example,

  • regular urinary parcel contaminations (UTIs)
  • blood in the pee called hematuria
  • urinary maintenance
  • torment or consuming previously, during, or after pee

An x-beam methodology where a urologist infuses an exceptional colour into the urinary lot to take pictures of the urinary stream to show blocks, for example, kidney stones and growths

For what reason do medical services experts perform ureteroscopy?

A urologist plays out a ureteroscopy to track down the reason for pee blockage in a ureter or to assess different issues inside the ureters or kidneys. During a ureteroscopy, a urologist can see

  • eliminate a stone from a ureter or kidney
  • eliminate or treat strange tissue and growths
  • take an example of the ureter or kidney tissue for a biopsy

How are you going to plan for a cystoscopy or ureteroscopy?

Your urologist will likewise get some information about any drugs you are taking and inquire whether you have any sensitivities; at times, you won’t require unique arrangements for a cystoscopy. You can contact the Best Urologist in Ludhiana who has years of experience in the Urologist field. In different cases, your guidelines might incorporate:-

  • when to stop specific meds, like blood thinners
  • when to quit eating and drinking or, alternately, when to drink a lot of fluids
  • when to discharge your bladder before the system
  • whether to set up a ride home after the method

Conclusion;

RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital provide you with all these medical treatments in one place, with years of experience and good technology available for this highly advanced medical service. They served more than a dozen patients around the world who were suffering from gallstone and kidney problems. 

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पित्ताशय की पथरी होने के मुख्य कारण, लक्षण क्या है और इसका इलाज कैसे किया जाता है ?

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आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट & लेप्रोस्कोपी सर्जन स्पेशलिस्ट डॉक्टर अशोक मित्तल ने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया कि आज के समय में पित्ताशय की पथरी दुनिया भर में काफी सामान्य बीमारी बन गयी है | दुनियाभर में लगभग 7 से 10 प्रतिशत तक लोग इस समस्या से गुजर रहे है | व्यक्ति के शरीर में पित्ताशय की पथरी होने की असली वजह अभी तक सामने नहीं आ पायी है, लेकिन एक रिसर्च से यह पता चला है की पित्ताशय की पथरी कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से बनता है | कोलेस्ट्रॉल शरीर के अंदर पाया जाने वाला एक फैट होता है, जो कभी भी घुल नहीं सकता | 

 

पित्ताशय की पथरी एक तरह की थैली होती है, जो पित्त के रस को जमा करती है | पित्त का रस डाइजेस्टिव लिक्विड द्वारा उत्पादित एक पाचक तरल पदार्थ की तरह होता है, जो आहार वसा को तोड़ने का कार्य करता है | पित्ताशय के माध्यम से पित्त रस के कोष से पानी को तब तक निकाला जाता है, जब तक यह पानी अत्यधिक गाढ़ा न हो जाये | पित्ताशय में पथरी का निर्माण पित्ताशय में मौजूद कैल्शियम लवण, पित्त वर्णक और कोलेस्ट्रॉल से मिलकर होता है | पित्ताशय की पथरी से व्यक्ति को कई तरह के समस्याओं से सामना करना पड़ सकता है |       

 

डॉक्टर अशोक मित्तल ने यह भी बताया कि यदि पित्ताशय की पथरी आपके लिए अधिक समस्या को उत्पन्न नहीं कर रही है तो इसके उपचार की कुछ खास आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन वहीं अगर यह आपके पित्त नली में रुकावट पैदा कर रही है तो पित्ताशय की पथरी को निकालना बेहद ज़रूरी हो जाता है | 

 

इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर  डॉक्टर अशोक मित्तल ने पित्ताशय की पथरी होने के कारण, लक्षण और इलाज के बारे सम्पूर्ण जानकारी पर वीडियो बना कर पोस्ट की हुई है | यदि आप भी पित्ताशय की पथरी से परेशान है और उपचार करवाना चाहते है तो इसके लिए भी आप आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के पास बेहतरीन डॉक्टर्स की टीम है, जो पित्ताशय की पथरी से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | 

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ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ, ਕਾਰਨ, ਲੱਛਣ, ਜਾਂਚ ਪੜਤਾਲ ਤੇ ਇਲਾਜ਼

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ਹਰ ਸਾਲ, ਪੰਜ ਲੱਖ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਲੋਕ ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਕਰਕੇ ਹਸਪਤਾਲਾਂ ਵਿਚ ਭਰਤੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦਸਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਆਪਣੇ  ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਸਮੇਂ ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੀ ਸੱਮਸਿਆ ਨਾਲ ਜੂਝਦਾ ਹੈ ।

ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਇੱਕ ਸਖ਼ਤ ਵਸਤੂ ਹੈ ਜੋ ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਰਸਾਇਣਾਂ ਤੋਂ ਬਣਦੀ ਹੈ। ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਕਈ ਤਰਾਂ ਦੀਆਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਘੁਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਤਰਲ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਤਾਂ ਕ੍ਰਿਸਟਲ ਬਣਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਕ੍ਰਿਸਟਲ ਦੂਜੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇੱਕ ਠੋਸ ਵਸਤੂ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਇੱਕਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਵੱਡੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਇਹ ਪਿਸ਼ਾਬ ਰਾਹੀਂ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਨਿਕਲਦੇ। ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ, ਇਹ ਰਸਾਇਣ ਗੁਰਦਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਖਤਮ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।  

ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ, ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਲੈਣ ਨਾਲ, ਇਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੀ ਸ਼ਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਹੋਰ ਰਸਾਇਣ ਪੱਥਰੀ ਨੂੰ ਬਣਨ ਤੋਂ ਰੋਕਦੇ ਹਨ।

ਪਰ ਪੱਥਰੀ  ਦੇ ਬਣਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਪੱਥਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਪਿਸ਼ਾਬ ਨਾਲੀ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਹੇਠਾਂ ਯੂਰੇਟਰ ਵਿੱਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦਰਦ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦਾ ਹੈ।  

ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੇ ਕਾਰਨ 

ਪੱਥਰੀ ਦੇ ਸੰਭਾਵਿਤ ਕਾਰਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ: 

  • ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਪਾਣੀ ਪੀਣਾ
  • ਕਸਰਤ (ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜਾਂ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਕਰਨਾ)
  • ਮੋਟਾਪਾ
  • ਭਾਰ ਘਟਾਉਣ ਦੀ ਸਰਜਰੀ
  • ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਲੂਣ ਵਾਲਾ ਜਾਂ ਮਿੱਠਾ ਭੋਜਨ ਖਾਣਾ 
  • ਇੰਫੈਕਸ਼ਨ 
  • ਪਰਿਵਾਰਕ ਪੱਥਰੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ 
  • ਐਚ ਆਈ ਵੀ ਦੇ ਇਲਾਜ਼ ਦੋਰਾਨ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਦਵਾਈਆਂ 
  • ਔਰਤਾਂ ਵਿਚ ਏਸਟਰੋਜਨ ਹਾਰਮੋਨ ਦੀ ਕਮੀ 
  • ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਫਰੂਕਟੋਜ਼ ਵਾਲਾ ਖਾਣਾ ਆਦਿ 

 

ਪੱਥਰੀ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ 

 ਪੱਥਰੀ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਮੁੱਖ ਕਿਸਮਾਂ ਇਸ ਤਰਾਂ ਹਨ 

  • ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸੇਲੇਟ ਪੱਥਰੀ: ਇਹ ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਆਮ ਕਿਸਮ ਹੈ ਜੋ ਉਦੋਂ ਬਣਦੀ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਕਸਲੇਟ ਨਾਲ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।
  • ਯੂਰਿਕ ਐਸਿਡ ਪੱਥਰੀ: ਇਹ ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਆਮ ਕਿਸਮ ਹੈ।ਯੂਰਿਕ ਐਸਿਡ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਾਤਰਾ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੱਥਰੀ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦੀ ਹੈ।ਇਸ ਕਿਸਮ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪੀੜੀ ਦਰ ਪੀੜੀ ਚੱਲਦੀ ਹੈ।
  • ਸਟਟਰੂਵਾਈਟ ਪੱਥਰੀ: ਇਹ ਪੱਥਰੀ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਉੱਪਰੀ ਪਿਸ਼ਾਬ ਨਾਲੀ ਵਿੱਚ ਇਨਫੈਕਸ਼ਨ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।  
  • ਸਿਸਟੀਨ ਪੱਥਰੀ: ਇਹ ਪੱਥਰੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪੀੜੀ ਦਰ ਪੀੜੀ ਚਲਦੀ ਹੈ।  

 

ਲੱਛਣ 

ਲੱਛਣ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਜਾਂ ਇੱਕ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ:

  • ਤੁਹਾਡੀ ਪਿੱਠ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਗੰਭੀਰ ਦਰਦ
  • ਪੇਟ ਦਰਦ ਜੋ ਦੂਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ
  • ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਖੂਨ ਆਉਣਾ 
  • ਮਤਲੀ ਜਾਂ ਉਲਟੀਆਂ
  • ਬੁਖਾਰ ਅਤੇ ਠੰਢ
  • ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਬਦਬੂ ਆਉਂਣਾ 
  • ਪਿਸ਼ਾਬ ਰੁਕ ਰੁਕ ਕੇ ਆਉਣਾ 
  • ਪਿਸ਼ਾਬ ਕਰਨ ਲੱਗੇ ਦਰਦ ਹੋਣਾ 

 

ਜਾਂਚ ਪੜਤਾਲ 

ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦੀ ਜਾਂਚ ਮਰੀਜ਼ ਦੀ ਮੈਡੀਕਲ ਹਿਸਟਰੀ, ਸਰੀਰਕ ਮੁਆਇਨਾ, ਐਕ੍ਸ ਰੇ, ਸੀ ਟੀ ਸਕੈਨ ਆਦਿ ਟੈਸਟਾਂ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।ਡਾਕਟਰ ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦਾ ਸਹੀ ਆਕਾਰ ਅਤੇ ਇਸਦੀ ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਜਗਾ ਜਾਣਨ ਲਈ ਇਹ ਸਭ ਟੈਸਟ ਕਰਦੇ ਹਨ।   

 

ਇਲਾਜ

ਗੁਰਦੇ ਦੀ ਪੱਥਰੀ ਦਾ ਇਲਾਜ ਬੱਚਿਆਂ ਅਤੇ ਵੱਡਿਆਂ ਵਿੱਚ ਲੱਗਭਗ ਇੱਕੋ ਜਿਹਾ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਡਾਕਟਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਪਾਣੀ ਪੀਣ ਲਈ ਕਹਿ ਸਕਦਾ ਹੈ।ਡਾਕਟਰ ਬਿਨਾਂ ਸਰਜਰੀ ਦੇ ਪੱਥਰੀ ਨੂੰ ਪਿਸ਼ਾਬ ਰਾਹੀਂ ਕੱਢਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਯੂਰਿਕ ਐਸਿਡ ਘੱਟ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਦਵਾਈ ਵੀਦਿੰਦੇ ਹਨ।ਪਰ ਜੇ ਇਹ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਸਰਜਰੀ ਨਾਲ ਹਟਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

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पित्त की पथरी से बचाव के क्या है – लक्षण, कारण और इलाज के तरीके ?

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पित्त की पथरी जोकि रह-रह कर व्यक्ति को काफी परेशान करती है, क्युकी इस बीमारी में व्यक्ति को हमेशा दुःख का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस पथरी से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है, इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ; 

पित्त की पथरी के कारण क्या है ?

  • आपके पित्त में बहुत अधिक मात्रा में जब कोलेस्ट्रॉल उपस्थित होता है। तो आपके पित्ताशय द्वारा स्रावित पित्त में आपके लीवर द्वारा उत्पादित कोलेस्ट्रॉल को तोड़ने के लिए आवश्यक तत्व इसमें शामिल होते है। यदि आपके लीवर द्वारा बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल उत्पादित किया जा रहा है तो पित्ताशय की थैली में पथरी बनना संभव है।
  • आपके पित्त स्राव में बिलीरुबिन का स्तर ज़रूरत से ज़्यादा है। वहीं जब आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की टूट-फूट होती है, तो बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है। 
  • आपके गॉलब्लैडर के ख़ाली होने में दिक़्क़त है। यदि आपका पित्ताशय पूरी तरह से या अक्सर पर्याप्त रूप से खाली नहीं होता है, तो एकदम गाढ़े पित्त का संग्रहण होने लगता है, जिसके कारण पित्त पथरी बन सकती है।

क्या है पित्त की पथरी की समस्या ?

  • पित्ताशय की थैली एक छोटा अंग है, जो व्यक्ति के ऊपरी पेट में यकृत के ठीक ऊपर और दाईं ओर उपस्थित होता है। पित्त, एक हरा-पीला तरल जो पाचन में सहायता करता है, और इस थैली में जमा होता है। पित्त पथरी या पित्त नली में अन्य रुकावट, पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाली अन्य समस्याएँ पैदा कर सकती है। 
  • पित्त पथरी का सबसे आम कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल जैसे कठोर यौगिक पदार्थ है।
  • वहीं पित्त में पथरी तब होती है जब उसमें कोलेस्ट्रॉल इक्ठ्ठा होने लगता है। और ऐसा होने पर कोलेस्ट्रॉल एक जगह होने की वजह से सख्त हो जाता है और यह छोटे-छोटे पत्थरों का रूप धारण कर लेता है। अगर शुरूआती समय पर इसमें ध्यान नहीं दिया जाए तो पथरी का आकार बढ़ने लगता है और अंत में पथरी के लिए सर्जरी करवाना ही एक आख्रिरी विकल्प बचता है।

अगर पित्त की पथरी सामान्य आकार से ज्यादा बड़ी हो गई है, तो इसके इलाज के लिए आपको लुधियाना में पित्ताशय की पथरी की सर्जरी का चयन कारण चाहिए। 

लक्षण क्या है पित्त की पथरी के ?

  • दाहिनी ओर पसली पिंजरे के नीचे दर्द या कोमलता।
  • कंधे के ब्लेड के बीच दर्द। 
  • मल हल्का या चाकलेट जैसा रंग 
  • वसायुक्त मल। 
  • खाने के बाद अपच, विशेष रूप से वसायुक्त भोजन। 
  • भोजन न पचने का भाव। 
  • मतली और चक्कर का आना। 
  • दस्त की समस्या। 
  • सूजन और पेट में गैस की समस्या। 
  • उल्टी या कब्ज की समस्या। 
  • आँखों के ऊपर सिर दर्द, विशेषकर दाहिनी ओर। 
  • खाने के बाद कड़वे द्रव का आना। 
  • मूत्र करने में परेशानी का सामना करना।

यदि आपको पथरी की वजह से मूत्राशय संबंधित किसी भी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

पित्त की पथरी से कैसे करें खुद का बचाव ?

  • स्वस्थ शरीर और वजन को बनाए रखें। 
  • तेजी से वजन घटाने और सनक भरे आहार से बचें। 
  • लिवर और गॉलब्लैडर को स्वस्थ रखने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार का पालन करें। 
  • अधिक सक्रिय रहें। 
  • जन्म नियंत्रण की गोलियाँ या अनावश्यक दवाएं लेने पर एक बार विचार जरूर करें। 
  • पानी का खूब सेवन करें। 
  • अपने खाने का अच्छे से ध्यान रखें। 

और पथरी की समस्या से बचाव के लिए एक बार अपने डॉक्टर से जरूर अपने डाइट चार्ट के बारे में चर्चा करें।

पित्त की पथरी का इलाज क्या है ?

  • पित्त की पथरी के इलाज के लिए पहले डॉक्टर सामान्य दवाइयों से इसे काबू करते है, लेकिन जब पथरी का आकर सामान्य से ज्यादा बड़ा हो जाए तो इसके लिए डॉक्टर के द्वारा, पित्त पथरी के लिए सर्जिकल उपचार का चयन किया जाता है। 
  • ओपन सर्जरी का चयन भी उनके द्वारा किया जाता है।  

अगर आप भी पित्त की पथरी की समस्या से बहुत ज्यादा परेशान हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

निष्कर्ष :

पित्त की पथरी काफी खतरनाक समस्या है, इसलिए जरूरी है की इसके लक्षणों पर व्यक्ति को खास नज़र रखना चाहिए, ताकि शुरुआती दौर में ही पथरी का इलाज बिना सर्जरी के मुकमल किया जा सके, लेकिन ये तभी हो सकता है जब आप अपने सेहत के प्रति सक्रिय रहेंगे।  

 

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Causes, symptoms and the procedure of surgery for Bladder stone

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Bladder stones are hard buildups of minerals in the urinary bladder. Bladder stones can be very uncomfortable. The bladder stops developing when you hold pee for a longer time in your bladder. If a bladder stone is smaller in size, you may not notice it, and it will leave your body when you pass urine, but if the stone is bigger, then it may be painful in your lower abdomen, or you may see blood in the urine. It is suggested to consult a urologist if you see similar signs. For more details, you can check Kidney Hospital In Ludhiana.

Symptoms of the bladder stone:

For some general symptoms related to bladder stones, consult Kidney Hospital In Ludhiana if you feel any similar symptoms:

  • Abdominal pain in the lower side of the stomach
  • Painful pee
  • Change in the color of the urine
  • Blood in the urine
  • Difficulty in urinating
  • Disturbed flow of urine
  • Sometimes, Uncomfortable pain in the stomach, etc
  • Urinary tract infections

Main causes of having bladder stones

  1. Urinary tract Infections(UTIs): UTIs are related to the infection in the urinary system of the body. Frequent and untreated UTI problems can lead to the problem of bladder stones.
  2. Dehydration: Dehydration or liquid intake is not enough and can cause concentrated urine, which increases the risk of stone formation.
  3. Urinary Obstruction: When the urinary flow gets disrupted due to any urinary obstruction, it can lead to the formation of a bladder stone problem.
  4. Bladder Dysfunction: Conditions such as an enlarged prostate or neurogenic bladder, which affects bladder emptying, can increase the chance of building stones in your stomach.
  5. Diet: A diet rich in minerals such as calcium or oxalate can lead to the formation of stones in your bladder

Procedure to remove a bladder stone

To remove the stone bladder from the urinary system, some procedures can be followed based on the size and location of the bladder stones:

  • Cystolitholapaxy: The Cystolitholapaxy procedure includes the breaking of the stones into smaller pieces using a laser, ultrasound, or mechanical device. Then, small pieces of the stones are removed through a tube inserted into the bladder.
  • Transurethral Resection of Bladder Stones (TURBT): TURBT is the procedure used for large bladder stones. In this procedure, a small instrument is inserted through the urethra to remove the stones or break the stones into smaller pieces so that they can be easily extracted.
  • Open Surgery: In more severe cases where other methods are not feasible, the surgeon may opt for open surgery. In the open surgery procedure, an incision will be made in your lower abdomen to remove the bladder stone directly.

From the procedure mentioned above, the specific procedure will be depending on the size, number and location of the bladder stone in your stomach. It is suggested to consult a urologist, the Best Urologist in Ludhiana to guide you as per your situation.

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A Guidance To Understand About The Penile Curvature

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Peyronie’s disease is related to the penis. It is common in males. It is also known as penile curvature. By 1561, the first case of penile curvature was observed. The disease was not completely described until 1743. It is a condition in which the penis is slightly curved to the right or left. 

penile curvature

Everyone has a unique body. The size, shape or appearance of the penis is not the same in every male. The penis is straight when the person has an erection. But it is natural to have curvature in the penis. The penis is curved up, down, left or right. It is present in by birth or develops later in life. In this disorder, under the skin of the penis, scar tissue is formed. The scar tissue is also known as plaque. 

Cause of Peyronie’s disease through plaque 

  • It is caused by injury to the penis.
  • It is not the same plaque that can develop in a person’s arteries
  •  The beginning of penis curvature can not be cancerous, and a tumor

The phase of the plaque 

The cause of Peyronie’s disease is described in two phases and there are two types of phases: acute and chronic. 

Acute phase

 During this phase, the formation of plaque begins and lasts up to 18 months.

  •  Occurring Inflammation and plaque forms on your penis.
  •  Penis starts to curve.
  • Penis hurts without an erection.
  •  When scars develop, erections become painful.

Chronic phase 

The chronic phase starts after the formation of plaque. The chronic phase begins 12 to 18 months after the appearance of symptoms.  

Plaque stabilizes and does not get worse.

It lessens the pain in the penis.

Erectile dysfunction develops or becomes worse.

Symptoms of penile curvature 

Peyronie’s disease has various signs and symptoms that appear suddenly or gradually. The most common signs and symptoms are as follows: 

  • Scar tissue. The scar tissue related to Peyronie’s disease is known as plaque. It is not the same as plaque that forms in blood vessels. It is under the skin of the penis. It is flat lumps and like a band of hard tissue.
  • A bend in the penis. The penis of the patient is curved up or down and bent to one side.
  • Problems of erection: Peyronie’s disease causes problems in getting or maintaining erectile dysfunction. The erectile dysfunction can be reported before the beginning of Peyronie’s disease symptoms.
  • The penis getting short: the penis becomes short in Peyronie’s disease.
  • Pain: patients have penile pain, with or without an erection.
  • Penile deformity. In some men with Peyronie’s disease, the erect penis has an hourglass-like appearance and a narrowing indentation. 

The patient has to go to the urologist if he feels any symptoms. A specialized doctor in urinary problems is known as a Urologist. The Best Urologist in Ludhiana is present at RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital Ludhiana. 

Treatment for penile curvature

Non-surgical and surgical methods can treat penile curvature. 

  • Nonsurgical method: injections, oral medicines and some medical therapies are given by the doctor in the acute phase. Medicines are directly injected into the plaque through injections; these are called intralesional injections.
  • Surgical method: doctors do not suggest surgery until the improvement of symptoms stops, and patients feel the pain during erection and intercourse. The surgeries are helpful for removing the plaque from the penis and straightening the penis.

Penile curvature is a common disease in men, and it is a curable disease. Patients should go to the best doctors. The RG hospital is the best hospital for urological problems and Gallstones surgery in Ludhiana.

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पित्ताशय की पथरी में किन खाने की चीजों का सेवन करें किन का नहीं !

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पित्ताशय की पथरी एक दर्दनाक और असुविधाजनक स्थिति हो सकती है, लेकिन लक्षणों को प्रबंधित करने और आगे की जटिलताओं को रोकने में आहार विकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। इसलिए इस ब्लॉग में, हम यह पता लगाएंगे कि यदि आपको पित्ताशय में पथरी है तो आपको किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए और किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, ताकि इसे समझना और इससे बचना आसान हो सके ;

खाने योग्य खाद्य पदार्थ !

ताजे फल और सब्जियां : 

ताजे उपज फाइबर एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो पित्त पथरी के प्रबंधन में मदद कर सकती है। इसलिए सेब, नाशपाती, पालक और ब्रोकोली जैसे विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों का सेवन करें।

लीन प्रोटीन : 

चिकन, टर्की और मछली जैसे लीन प्रोटीन स्रोतों का चयन करें। इन्हें आपके शरीर के लिए पचाना आसान होता है और पित्त पथरी के लक्षण उत्पन्न होने की संभावना कम होती है।

साबुत अनाज : 

ब्राउन चावल, साबुत गेहूं की ब्रेड और जई जैसे खाद्य पदार्थ आपके पित्ताशय पर अधिक भार डाले बिना आवश्यक पोषक तत्व और फाइबर प्रदान करते है।

स्वस्थ वसा : 

अच्छे वसा, जैसे कि एवोकाडो, जैतून का तेल और नट्स में पाए जाने वाले, फायदेमंद हो सकते है। वे पित्ताशय की पथरी के जोखिम को कम कर सकते है और समग्र पित्ताशय स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते है।

कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स : 

दही और दूध जैसे कम वसा वाले या वसा रहित डेयरी उत्पाद चुनें। उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों की तुलना में ये आपके पित्ताशय पर आसान होते है।

पानी : 

खूब सारा पानी पीकर अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें। यह आपके पित्ताशय के स्वास्थ्य को बनाए रखने और पथरी बनने से रोकने में मदद करता है। पानी कम पीने की वजह से अगर आपको मूत्राशय सम्बन्धी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

हर्बल चाय : 

पुदीना और अदरक जैसी हर्बल चाय पित्त पथरी से जुड़ी पाचन संबंधी परेशानी को शांत कर सकती है।

परहेज करने योग्य खाद्य पदार्थ !
  • तले हुए खाद्य पदार्थ, वसायुक्त मांस और भारी क्रीम से बचें। क्युकि उच्च वसा सामग्री पित्ताशय की थैली के हमलों को ट्रिगर कर सकती है।
  • प्रसंस्कृत स्नैक्स, फास्ट फूड और पहले से पैक किए गए भोजन से दूर रहें क्योंकि इनमें अक्सर अस्वास्थ्यकर वसा की मात्रा अधिक होती है।
  • चीनी का सेवन कम करें, जिसमें चीनी युक्त पेय पदार्थ और मिठाइयाँ शामिल है, जो वजन बढ़ाने और पित्त पथरी के निर्माण में योगदान कर सकते है।
  • लाल मांस का सेवन सीमित करें, क्योंकि आपके पित्ताशय के लिए इसकी प्रक्रिया करना कठिन हो सकता है।
  • मसालेदार व्यंजन पित्ताशय में जलन पैदा कर सकते है और असुविधा पैदा कर सकते है। इनसे बचना या सीमित करना सबसे अच्छा है।
  • शराब पित्ताशय में जलन पैदा कर सकती है, इसलिए सलाह दी जाती है कि शराब का सेवन कम से कम करें या ख़त्म कर दें।
  • कॉफी और ऊर्जा पेय जैसे कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन कम करें, क्योंकि वे पित्त पथरी के लक्षणों को खराब कर सकते है।

अगर आपके द्वारा उपरोक्त खाने की चीजों का सेवन बहुत ज्यादा किया गया है तो आपको लुधियाना में पित्ताशय की पथरी का इलाज जरूर से करवाना चाहिए।

ध्यान रखें :

अगर आप पित्त की पथरी की समस्या से परेशान है तो इससे बचाव के लिए आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए, पर ध्यान रहें अगर आप अभी शुरुआती स्टेज पर है पथरी के तो आप इस समस्या का समाधान खाने की चीजों पर रोक लगा कर भी कर सकते है।

निष्कर्ष :

संतुलित और पित्त-अनुकूल आहार इस स्थिति को प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। सरल आहार विकल्प लक्षणों को कम कर सकते है और जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते है। उच्च वसा और प्रसंस्कृत विकल्पों से बचते हुए ताजे, और संपूर्ण खाद्य पदार्थों के सेवन पर ध्यान दें। पित्ताशय की पथरी के प्रबंधन पर व्यक्तिगत सलाह के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके आहार विकल्प आपकी विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप हों, हमेशा एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें।

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पित्ताशय की पथरी के ऑपरेशन के बाद – किन खाने की चीजों का सेवन करना चाहिए और किन का नहीं ?

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पथरी या पित्ताशय की पथरी की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है। पित्त पथरी के ऑपरेशन के बाद, आपकी रिकवरी में सहायता करने और जटिलताओं को रोकने के लिए एक विशिष्ट आहार का पालन करना महत्वपूर्ण है। यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिनका आपको उपयोग करना चाहिए और साथ ही कुछ ऐसे भी खाद्य प्रदार्थ है जिनका सेवन करने से आपको बचना चाहिए, तो चलिए जानने की कोशिश करते है की पथरी के ऑप्रेशन के बाद आपको कैसे खुद का ध्यान रखना चाहिए ; 

पथरी के ऑपरेशन के बाद किन खाने की चीजों का सेवन आपको करना चाहिए ?

साफ़ तरल पदार्थ : 

पानी, शोरबा और हर्बल चाय जैसे साफ़ तरल पदार्थों से शुरुआत करें। हाइड्रेटेड रहने के लिए इनका सेवन करें और आपके पाचन तंत्र को फिर से सक्रिय होने में मदद मिलेगी।

कम वसा वाले खाद्य पदार्थ :

दही और दूध जैसे डेयरी उत्पादों के कम वसा या वसा रहित संस्करणों का विकल्प चुनें। ये आपके पित्ताशय को ठीक करने में आसान है।

दुबले प्रोटीन : 

त्वचा रहित पोल्ट्री, मछली और टोफू जैसे प्रोटीन के दुबले स्रोत चुनें। ये विकल्प आपके शरीर के लिए पचाने में आसान है और इससे पित्ताशय की परेशानी नहीं होती है।

फल और सब्जियों का सेवन करना : 

विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों का आनंद लें, लेकिन एवोकैडो जैसे उच्च वसा वाले विकल्पों से बचें। सेब, नाशपाती और हरी पत्तेदार सब्जियाँ अच्छे विकल्प है। इसलिए इसनका सेवन करें। 

साबुत अनाज : 

साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, साबुत गेहूं पास्ता और जई को अपने आहार में शामिल करें। ये आवश्यक पोषक तत्व और फाइबर प्रदान करते है।

भोजन का सेवन थोड़ा-थोड़ा करें : 

तीन बड़े भोजन के बजाय, पूरे दिन में कई छोटे भोजन करने का लक्ष्य रखें। इससे आपके शरीर को भोजन को अधिक आसानी से प्रबंधित करने में मदद मिलती है।

पानी का सेवन अच्छे से करें : 

खूब सारा पानी पीकर अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें। आपके ठीक होने के लिए उचित जलयोजन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है।

पथरी के ऑपरेशन के बाद किन चीजों का परहेज करना चाहिए ?

उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ से दुरी बनाए : 

तली हुई चीजें, मक्खन, मांस के वसायुक्त टुकड़े और गरिष्ठ मिठाइयाँ जैसे उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें। क्युकि ये आपके पाचन तंत्र पर असर डाल सकते है।

मसालेदार भोजन से दूरी : 

मसाले और मसालेदार भोजन आपके पाचन तंत्र को परेशान कर सकते है, इसलिए अस्थायी रूप से उनसे बचना सबसे अच्छा विकल्प है।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से दूरी बनाए : 

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अक्सर छिपे हुए वसा और योजक होते है। जब भी संभव हो ताजा, साबुत भोजन ही खाएं।

शराब का सेवन करने से बचे : 

शराब आपके लीवर और पित्ताशय पर दबाव डाल सकती है, इसलिए जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते, तब तक इससे बचना ही बेहतर है।

ज्यादा कैफीन से दूरी बनाकर रखें : 

जबकि थोड़ा कैफीन आम तौर पर ठीक है, अत्यधिक कैफीन का सेवन आपके पाचन तंत्र को परेशान कर सकता है। इसलिए कॉफ़ी और कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें।

कार्बोनेटेड पेय का सेवन सिमित करें : 

इनसे गैस और असुविधा हो सकती है, इसलिए कार्बोनेटेड पेय पदार्थों को छोड़ना बुद्धिमानी है।

भारी भोजन करने से बचे : 

बड़े, भारी भोजन से बचें जो आपके स्वस्थ शरीर पर तनाव डाल सकते है। इसके बजाय छोटे, संतुलित हिस्से चुनें।

डेयरी वसा से बचें : 

पूरे दूध और पूर्ण वसा वाले पनीर जैसे उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों से बचना चाहिए। कम वसा या वसा रहित विकल्प चुनें।

पित्ताशय की पथरी क्या है ?

  • पित्ताशय की थैली एक छोटा अंग है, जो व्यक्ति के ऊपरी पेट में यकृत के ठीक ऊपर और दाईं ओर उपस्थित होता है। वहीं पित्त, एक हरा-पीला तरल प्रदार्थ है जो पाचन में सहायता करता है, और इस थैली में जमा होता है। 
  • पित्त पथरी या पित्त नली में अन्य रुकावट, पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाली अन्य समस्याएँ पैदा कर सकती है। पित्त पथरी का सबसे आम कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल जैसे कठोर यौगिक पदार्थ का बनना है।
  • पित्त की पथरी होने पर आपको अपने मूत्राशय के हिस्से की जाँच को लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट से करवाते रहना चाहिए। क्युकी पथरी की समस्या पर मूत्र संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

ध्यान रखें :

याद रखें कि हर किसी की पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया अलग-अलग होती है, और अपने आहार के संबंध में अपने डॉक्टर की सिफारिशों का पालन करना महत्वपूर्ण है। जैसे ही आप सहज महसूस करें और जैसा आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता सलाह दे, धीरे-धीरे कुछ खाद्य पदार्थों को अपने आहार में पुनः शामिल करें। पित्ताशय की पथरी की सर्जरी के बाद आपकी रिकवरी में सहायता के लिए संतुलित, कम वसा वाला आहार आम तौर पर सबसे अच्छा तरीका है।

पित्ताशय की पथरी के बाद क्या सावधानियां बरते ?

  • दिन में थोड़ा-थोड़ा करके 5 से 6 बार खाएं। एक ही बार में बहुत अधिक खाने से पेट में सूजन या गैस हो सकती है।
  • ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों तक केवल हलके खाद्य पदार्थों का सेवन करें। ठोस पदार्थ धीरे-धीरे शामिल करें।
  • शाकाहारी बनें। पित्ताशय की मदद के बिना पाचन तंत्र को मीट पचाने में दिक्कत होती है।
  • बीच-बीच में हेल्दी स्नैक्स, कम वसायुक्त और प्रोटीन से भरपूर पदार्थों का सेवन करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें और एक स्वस्थ वजन बनाए रखें। इससे पाचन में मदद मिलेगी।

सारांश :

  • पित्ताशय की पथरी के ऑपरेशन में पित्ताशय को हटा दिया जाता है और यह उतना गंभीर नहीं है जितना हम सोचते है। पित्त की थैली हट जाने पर पाचक रस लिवर से सीधा छोटी आंत में जाने लगता है। हालांकि, पित्ताशय के बिना बेहतर कार्य करने के लिए पाचन तंत्र को कुछ समय लग सकता है। इसलिए ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों के लिए आपको डाइट में बदलाव करना चाहिए।
  • पथरी निकलने के बाद अधिकतर मरीज धीरे-धीरे, एक-एक करके अपने पुराने आहार को डाइट में शामिल करते जाते है। वहीं डॉक्टर कुछ मरीजों के डाइट में कुछ विशेष आहार हमेशा के लिए शामिल कर सकते है।

इलाज में काफी अच्छे उपकरणों का उपयोग इस हॉस्पिटल में किया जाता है। वहीं हमारे स्वास्थ्य सलाहकार सर्जरी की शुरुआत से लेकर रोगी के रिकवर होने तक मुफ्त सलाह भी देते है।

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पित्ताशय की पथरी को निकालने के लिए कौन-से डॉक्टर होंगे सहायक ?

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पित्त की थैली में स्टोन का होना एक दर्दनाक स्थिति है, जिसके कारण पित्त की थैली अपने रोजाना के कार्यों को करने में असमर्थ रहती है। वहीं पित्त की थैली में पथरी अगर निकलने का नाम न लें तो इसके लिए आपको पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए किस तरह के डॉक्टर का चयन करना चाहिए और साथ ही क्या पित्त की थैली को निकलवाना सही है या नहीं इसके बारे में भी बात करेंगे ;

पित्ताशय क्या है ?

  • पित्ताशय, पित्त की थैली या गॉलब्लैडर शरीर का छोटा सा अंग होता है। यह लिवर या फिर यकृत के पीछे स्थित होता है। पित्ताशय का मुख्य कार्य पित्त या डाइजेस्टिव फ्लूइड को एकत्रित करना है और उसे पित्त नली से छोटी आंत में ले जाना है। 
  • डाइजेस्टिव फ्लूइड लिवर में बनता है। पित्ताशय नाशपाती के आकार का होता है। कई बार पित्ताशय में पथरी की समस्या हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति को पथरी के इलाज की आवश्यकता होती है। 

पित्त की पथरी क्या है ?

  • पित्त की पथरी को अंग्रेजी भाषा में गॉल स्टोन कहते है। इन पथरी का निर्माण पित्ताशय की थैली में होता है। पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है। यदि सही समय पर दूरबीन द्वारा पथरी का ऑपरेशन नहीं होता है तो पित्त की पथरी के कारण रोगी को अत्यधिक दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है और वह जमने लगता है, तो व्यक्ति को पित्त की पथरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। पित्त की पथरी के कारण रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण रोगी को पाचन संबंधित समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।

पित्त में गंभीर पथरी होने पर आपको लुधियाना में पित्त पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार क्या है ?

पित्त की पथरी का इलाज तभी सही तरीके से किया जा सकता है जब हमे पता हो की पित्त की पथरी कितने प्रकार की होती है, तो सामान्यतः ये दो तरह के होते है जैसे ;

  • कोलेस्ट्रॉल वाली पथरी, जोकि पित्ताशय की पथरी का सबसे आम प्रकार है। यह लगभग 80 से 85% मामलों के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि जो पथरी कोलेस्ट्रॉल से बनती है वह कोलेस्ट्रॉल पथरी कहलाती है। यह पित्त में पाया जाने वाला एक वसायुक्त पदार्थ है। यह पथरी आकार और रंग में भिन्न हो सकती है। अधिकतर मामलों में पथरी का रंग पीला और हरा होता। कोलेस्ट्रॉल की पथरी तब विकसित होती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित नहीं होती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में कोलेस्ट्रॉल मात्रा बढ़ जाती है और यह जमने लग जाते है। 
  • पिगमेंट वाली पथरी, मुख्य रूप से बिलीरुबिन से बनती है। बिलीरुबिन एक प्रकार का पदार्थ है जो रेड ब्लड सेल्स के टूटने के बाद उत्पन्न होने वाले वेस्ट प्रोडक्ट से बनता है। इस प्रकार की पथरी का निर्माण कैल्शियम से भी हो सकता है, जो पित्त में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल की पथरी के विपरीत, ये पथरी आम तौर पर छोटी और गहरे रंग की होती है। जब पित्त में बिलीरुबिन की मात्रा अत्यधिक हो जाती है तो पित्त अपना काम नहीं कर पाती है, जिसके कारण पित्त की पथरी का निर्माण होता है। 

पित्ताशय की पथरी के कारण अगर आपको मूत्र संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

क्या पथरी होने पर पित्त की थैली को निकलवाना सही है ?

  • अगर आपकी पथरी का आकार सामान्य से ज्यादा बढ़ चुका है और उसमे इंफेक्शन ने भी घर कर लिया है तो सर्जरी भी इस समस्या का इलाज आसानी से नहीं कर पाती है इसलिए ऐसे में आपको पित्त की थैली को भी बाहर निकलवाने के बारे में सोचना चाहिए। 
  • वहीं पित्ताशय की पथरी का जड़ से इलाज करने के लिए पित्ताशय को शरीर से अलग करना ही एकमात्र टिकाऊ उपाय है। लेकिन, अगर यह प्रक्रिया ओपन सर्जरी द्वारा की जाती है तो साइड-इफेक्ट्स का खतरा ज्यादा होता है। तो आइये जानते है कि पित्ताशय हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्या फायदे हो सकते है।
  • कोई बड़ा कट नहीं होता है और रिकवरी में बहुत कम समय लगता है।
  • घाव में इन्फेक्शन होने के चांस बहुत कम होते है, क्योंकि, इलाज के दौरान बहुत छोटा कट होता है।
  • सर्जरी के बाद कोई साइड-इफ़ेक्ट नहीं होते है।
  • पेशेंट को 48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।

पित्त की थैली को हटाने के नुकसान क्या है ?

  • इसके नुकसान में आपको खाना पचाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 
  • गाल-ब्लैडर को हटाने के लिए या तो ओपन सर्जरी या फिर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल होता है। ओपन सर्जरी में घाव बड़ा होता है जबकि, लेप्रोस्कोपिक में छोटा कट होता है। इसलिए सर्जरी वाली जगह में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
  • आपको गाल-ब्लैडर को हटाने के बाद दर्द और सूजन की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। 
  • खून का थक्का बनने जैसी समस्या का भी आपको सामना करना पड़ सकता है। 
  • हर्निया भी क्षतिग्रस्त हो जाती है। 
  • बुखार, कब्ज और ह्रदय संबंधी समस्या का भी आपको सामना करना पड़ सकता है। 

पित्त की थैली को हटवाने के बाद रिकवरी पाने के लिए किन बातों का रखें ध्यान ? 

  • दो सप्ताह तक कोई भी फिजिकल वर्क न करें। क्युकि इस दौरान आपको आराम कि सख्त जरूरत है।
  • अपने जख्म को नियमित रूप से साफ़ करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई क्रीम लगाएं।
  • कुछ दिनों तक ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें, कठोर पदार्थ खाने से परहेज करें।
  • कुछ हफ्तों के लिए अत्यधिक नमकीन, मीठा, मसालेदार या वसायुक्त भोजन करने से बचें।
  • पाचन बढ़ाने के लिए फाइबर का अधिक सेवन करें, लेकिन नट्स, बीज, साबुत अनाज, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, फूलगोभी, गोभी, आदि का सेवन करने से बचें।

रिकवरी के दौरान रोगी में किस तरह के लक्षण नज़र आते है ?

  • तेज दर्द जोकि हमेशा रोगी में बना रहता है। 
  • बार-बार पेट में दर्द की समस्या का सामना करना। 
  • मतली और उल्टी की समस्या। 
  • गैस या मल निकालने में परेशानी का सामना। 
  • दस्त और पीलिया की समस्या।

पित्त की थैली को निकलवाने के लिए किन डॉक्टर से लें सलाह !

अगर आप पित्ताशय की थैली को निकलवाने के बारे में सोच रहें है, तो इसके लिए आप “गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन” का चयन कर सकते है।

ध्यान रखें :

अगर आपके पित्ताशय में पथरी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है, तो इससे बचाव के लिए पित्ताशय की थैली को बाहर निकालने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। और इस थैली को बाहर निकलवाने से पहले इसके नुकसान क्या हो सकते है इसके बारे में जरूर जानकारी लें। 

वहीं इस सर्जरी को आप चाहें तो आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

पित्ताशय की थैली में पथरी के कारण इंफेक्शन जब ज्यादा बढ़ जाए तो इससे बचाव के लिए आपको इस थैली को ही बाहर निकलवा लेना चाहिए। पर इसके लिए आपको किसी अनुभवी डॉक्टर का चयन करना चाहिए, और साथ ही डॉक्टर की शिक्षा के बारे में भी आप डॉक्टर से जरूर पूछे, ताकि सर्जरी के दौरान किसी भी तरह की समस्या न हो सकें।  

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