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Deciphering Prostate Biopsy: procedure and risk factors.

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Prostate Diseases

Deciphering Prostate Biopsy: procedure and risk factors.

Prostate biopsies are operations when tissue samples are taken from the prostate. During a prostate biopsy, tissue samples are extracted from your prostate gland using a needle. 

A urologist is a medical professional who specializes in male sex organs and the urinary system.

 

What is the definition of a prostate biopsy? 

During a prostate biopsy, a small sample of tissue from the prostate gland is removed for microscopic examination. It is carried out to look into anomalies found during prostate cancer screening, like increased levels of the antigen specific to the prostate or unusual results from a digital rectal exam. The biopsy aids medical professionals in identifying the presence of prostate cancer as well as other disorders that impact the prostate gland, such as infection or inflammation. The best urologist in Ludhiana is known for treating the urological conditions. 

 

What are the causes of the prostate biopsy? 

A prostate biopsy aids in the identification or exclusion of prostate cancer. In the following scenarios, your doctor might recommend a prostate biopsy:

  • A PSA test produces results that are higher than usual for your age
  • Your doctor may find a palpable lump or hard consistency in the prostate during a digital rectal exam.
  • Although the results of your prior biopsy were average, your PSA levels on monitoring are continuously rising.
  • A previous biopsy had shown abnormal cells.

 

Procedure of the prostate biopsy. 

Numerous techniques are available for taking prostate biopsy samples. Your prostate biopsy may comprise the following procedures.

  • Transrectal biopsy: During the transrectal biopsy, a small needle is inserted into the prostate and via the rectum to extract a sample of tissue. Through transrectal ultrasonography, the needle is directed. To determine whether the sample contains cancer, a histopathologist uses special stains to examine it under a microscope. 
  • MRI/TRUS Fusion Biopsy: Transrectal Ultrasonography is referred to as TRUS. It uses an ultrasonic probe to take a real-time picture of the prostate gland. To get a targeted prostate biopsy, fusion guided prostate biopsy combines ultrasonography and magnetic resonance imaging. Patients with consistently elevated PSA results despite a negative biopsy in the past and prostate lesions that are difficult to target, like those located anteriorly precisely, may consider this approach.
  • Transperineal biopsy: A small incision is made in the skin between the anus and the scrotum. The biopsy needle is inserted into the prostate through the incision to get tissue samples. Usually, this treatment is guided by images. 

 

Risk of prostate biopsy

The following are among the risks of a prostate biopsy:

  • Blood at the site of the biopsy. Bleeding following a prostate biopsy is not uncommon.
  • Your semen is bloody. A common side effect of a prostate biopsy is the appearance of crimson or rust-coloured semen. There is blood present, but this is not a reason for alarm. After the biopsy, there can still be blood in your semen for a few weeks.
  • Urine with blood in it. Usually, this bleeding is not too severe.
  • Having trouble urinating. Urinary problems may occasionally arise following a prostate biopsy. Rarely does the need to install a temporary urinary catheter occur.
  • Infection. On rare occasions, a prostate biopsy may result in an infection that needs to be treated with antibiotics for the urinary tract or prostate.

For kidney cancer treatment in Ludhiana, schedule a consultation with the best doctor at RG Stone Urology & Laparoscopy Hospital.

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पेशाब की नली में है इन्फेक्शन : तो जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार ?

पेशाब की नली में इन्फेक्शन मूत्राशय और मूत्रमार्ग का इन्फेक्शन है। इसे यूटीआई भी कहा जाता है। वहीं पेशाब की नली में संक्रमण होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया है। कुछ इन्फेक्शन फंगी के कारण भी ऐसा होता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में यह वायरल होता है। ये वायरल क्यों किसे और किन कारणों से होता है और साथ ही इसके लक्षण क्या नज़र आते है, वहीं इस समस्या से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

पेशाब की नली में इन्फेक्शन का होना क्या है ?

  • यह मनुष्यों के शरीर में होने वालें सबसे आम संक्रमण में से एक है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इसका खतरा सबसे अधिक होता है। अगर यह संक्रमण केवल पेशाब की नली तक सीमित रहता है तो दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर ये इन्फेक्शन गुर्दे तक फैल जाते है तो समस्या और भी बढ़ सकती है, जैसे आपको पथरी की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है 
  • वहीं सही से पानी न पीने और लंबे समय तक मूत्र को रोककर रखने के कारण भी यूरिन इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा मधुमेह, गर्भवास्था औऱ मोनोपॉज के समय भी यूरिन इंफेक्शन हो जाता है। 
  • इसमें बार-बार यूरिन का आना, यूरिन में जलन होना, यूरिन के साथ खून का आना, पेड़ू या पेट के निचले हिस्से में दर्द का होना जैसी समस्याएं आपमें होने लगती है। वो भी पेशाब की नली में इन्फेक्शन के कारण।

यदि पेशाब की नली में इन्फेक्शन के कारण आपको गुर्दे में पथरी की समस्या हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में गुर्दे की पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन के क्या कारण है ?

  • मूत्र मार्ग में अवरुद्धता का आना। 
  • गर्भावस्था के कारण। 
  • रजोनिवृत्ति का समय पर न आना या बंद होना।  
  • बहुत अधिक सेक्स करना। 
  • कई पार्टनर्स के साथ संबंध बनाना। 
  • मूत्राशय का खाली न होना। 
  • आंत्र की समस्याओं का सामना करना। 
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना।  
  • अधिक समय तक स्थिर रहना (immobility)।
  • किडनी स्टोन की समस्या। 
  • डायबिटीज की समस्या। 
  • एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग करने से मूत्र पथ का ब्लाक होना।
  • टैम्पोन का उपयोग आदि। 

पेशाब करने पर जलन होने के दौरान कौन-से लक्षण नज़र आते है ?

  • पेशाब करने पर जलन का महसूस होना। 
  • पेशाब के साथ खून का निकलना। 
  • मूत्र के रंग में परिवर्तन का आना। 
  • महिलाओं के श्रोणि क्षेत्र में दर्द का होना। 
  • तुरंत पेशाब करने की जरूरत का महसूस होना। 
  • पुरुषों के मलाशय में दर्द का होना। 
  • ब्लैडर खाली न होना और बार-बार पेशाब का आना। 
  • मूत्र के गंध में परिवर्तन का आना।

यदि मूत्र मार्ग में जलन जैसी समस्या का आप सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन होने पर किन बातों का रखें ध्यान ?

  • पानी का भरपूर सेवन करें। यह मूत्र को पतला करता है और बैक्टीरिया शरीर के बाहर निकालने में मददगार है।
  • कॉफ़ी, शराब, सॉफ्ट ड्रिंक, साइट्रस ड्रिंक और कैफीन के सेवन से बचें। यह पदार्थ आपके मूत्राशय को परेशान कर सकते है।
  • पेट के ऊपर हीटिंग पैड रख सकते है। यह संक्रमण के दर्द को कम करेगा। पर ध्यान रहें पैड ज्यादा गर्म न हो।
  • संभोग करने से बचें। अगर करते है, तो तुरंत बाद पेशाब करें और एक गिलास पानी पिएँ।
  • क्रैनबेरी जूस का सेवन करें। यह पेशाब की नली में इन्फेक्शन का उपचार तो नहीं करता लेकिन इसे होने से रोकता है।
  • महिलाएं योनि में डिओडोरेंट, स्प्रे या डूश के उपयोग से बचें।

मूत्र नली के इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है ?

  • मूत्र नली में इन्फेक्शन के कारण की बात करें तो वो है बैक्टीरिया। इसलिए डॉक्टर बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं की मदद लेकर करते है।
  • वहीं मूत्र मार्ग या यूरिनरी ट्रैक्ट के जिस भाग में संक्रमण होता है, उसके हिसाब से एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। अगर इन्फेक्शन मूत्रमार्ग और मूत्राशय तक ही सीमित है तो मौखिक रूप से एंटीबायोटिक दवा दी जाती है।
  • वायरल इन्फेक्शन और फंगल इन्फेक्शन का उपचार एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है और फंगल इन्फेक्शन का एंटीफंगल दवाओं से। वायरल यूटीआई में सिडोफोविर ड्रग चिकित्सकों की पहली पसंद है, क्योंकि यह सामान्य वायरल रोगजनकों के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करता है।

पेशाब की नली में इन्फेक्शन का पता कैसे लगाया जा सकता है ? 

  • इसका पता लगाने के लिए आप मूत्र का विश्लेषण करवा सकते है। 
  • अल्ट्रासाउंड, कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (CT), या एमआरआई (MRI) की मदद से भी इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। 
  • इंट्रावेनस पाइलोग्राम (IVP) का चयन। 
  • सिस्टोस्कोपी का चयन। 

ध्यान रहें :

अगर आपके मूत्र नली में इन्फेक्शन की समस्या लगातार बढ़ते जा रहीं है, तो इससे बचाव के लिए आपको अपने सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए और गंभीर समस्या ज्यादा न बढ़े उससे पहले ही आपको आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल का चयन कर लेना चाहिए। 

निष्कर्ष :

मूत्र नली में समस्या का आना मतलब आपके लिए काफी परेशानी खड़ी कर सकता है, इसलिए जरूरी है की आपको इससे बचाव के लिए जिन भी जरूरी बातो का ध्यान रखना चाहिए उसको जरूर से रखें।

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जानिए ज्यादा नमक किडनी के मरीजों के लिए कैसे है, खतरा और वो इससे कैसे खुद का बचाव कर सकते है?

किडनी में पथरी की समस्या का सामना कर रहें लोगों के लिए नमक किस तरह खतरे की निशानी है इसके बारे में हम आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो अगर आप भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहना चाहिए ;

क्या है किडनी में स्टोन की समस्या ?

  • किडनी के भीतर खनिजों और लवणों से बने क्रिस्टल के जमा होने की स्थिति को किडनी स्टोन का कारण माना जाता है। वहीं यह स्थिति गंभीर दर्द का कारण बन सकती है, कुछ लोगों को पेशाब की भी समस्या बनी रहती है। समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर स्टोन्स को निकालने के उपचार कराने की सलाह दी जाती है।
  • इसके अलावा कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ का मानना है, की कम पानी पीने, आहार में गड़बड़ी, किडनी स्टोन की फैमिली हिस्ट्री या अधिक नमक-चीनी का सेवन करने वालों में किडनी में स्टोन बनने की दिक्कत अधिक होती रहती है। डॉक्टर्स कहते है, अगर आहार पर ध्यान देने के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें तो इस समस्या से बचाव किया जा सकता है।

अगर किडनी स्टोन के कारण आपको मूत्र से सम्बंधित कोई समस्या नज़र आ रहीं है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

लक्षण क्या है किडनी स्टोन के ?

  • पीठ के निचले हिस्से या पेट के एक हिस्से में दर्द का महसूस होना।
  • दर्द के साथ मतली या उल्टी होना।
  • पेशाब से खून आना या पेशाब के दौरान दर्द होना।
  • पेशाब करने में असमर्थ होना।
  • अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना।
  • बुखार या ठंड का लगना।
  • पेशाब से बदबू या झाग का दिखाई देना।

किडनी स्टोन की समस्या से हम किन तरीको से करें खुद का बचाव ?

  • सबसे पहले तो आप इस तरह की समस्या से बचाव के लिए कम नमक का सेवन करें। वहीं ज्यादा नमक खाने से आपकी यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाएगी, जिससे स्टोन का खतरा भी बढ़ जाता है, एक दिन में लोगों को 2300 mg से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए, खास कर जो लोग किडनी स्टोन की समस्या से जूझ रहे है, उन्हें रोज़ 1500 mg नमक ही खाना चाहिए. इससे आपको काफी राहत मिलेगी। 
  • किडनी स्टोन से बचने के लिए लोगों को हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, पानी पीने से किडनी में जमे एक्स्ट्रा मिनरल्स बाहर निकल जाते है और किडनी स्टोन का खतरा कम हो जाता है. अगर आप पानी में नींबू है या कुछ खट्टा रस मिला लें, तो भी किडनी स्टोन को बनने से रोक सकते है, इसके अलावा किडनी सर्वे से बचाव के लिए आपको हर दिन कम से कम 3 से 4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। 
  • कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आप किडनी स्टोन की समस्या से बच सकते है। वहीं दूध, दही, पनीर, सोयाबीम, बादाम और हरी पत्तेदार सब्जियों में बड़ी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, ऐसे फूड्स का सेवन करने से आपकी यूरिन में कैल्शियम जमने की संभावना कम हो जाएगी और किडनी स्टोन का खतरा घट जाएगा। 
  • रेडमीट, चिकन, अंडा और सीफूड का ज्यादा सेवन करने से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है और किडनी स्टोन का खतरा भी बढ़ जाता है, इससे बचने के लिए हाई प्रोटीन फूड्स को अवॉइड करना चाहिए. नॉनवेज से दूरी बना लेनी चाहिए और हेल्दी फूड का सेवन करना चाहिए। 
  • चॉकलेट खाने की आदत करें कम, क्युकी ज्यादा चॉकलेट, चाय और अखरोट खाने से भी किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है, तो ऐसे में आपको इन चीजों से दूरी बनानी चाहिए और हेल्दी चीजों का सेवन करना चाहिए. अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो किडनी स्टोन की समस्या से बच सकते है।

यदि इन उपायों को अपनाने के बाद भी किडनी में स्टोन की समस्या बढ़ते जा रहीं है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में गुर्दे की पथरी की सर्जरी का चयन करना चाहिए।

सुझाव : 

गुर्दे की पथरी बहुत ही खतरनाक है, इसलिए इससे बचाव के लिए आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए, और नमक का सेवन उपरोक्त बताएं अनुसार ही करना चाहिए।

पथरी के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

आप चाहे तो बढ़ी हुई पथरी का इलाज आरजी स्टोन यूरोलॉजी और लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

गुर्दे में पथरी का होना बहुत ही खतरनाक समस्या है, क्युकी इस दौरान रह-रह कर दर्द की समस्या आपमें बनी रहती है, इसलिए जरूरी है की इससे बचाव के लिए आपको जल्द डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

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Kidney Diseases

What is the definition of chronic kidney disease?

The kidney is an important part of the human body that filters waste from the body. An unhealthy diet plan and poor living can cause different types of kidney-related problems. The best urologist in Ludhiana is known for treating chronic kidney diseases. 

 

What are chronic kidney diseases? 

Chronic kidney disease, also called chronic kidney failure, involves a gradual loss of kidney function. Your kidneys filter wastes and excess fluids from your blood, which are then removed in your urine. Advanced chronic kidney disease can cause dangerous levels of fluid, electrolytes and wastes to build up in your body.

 

What are the causes of chronic kidney diseases?

There are different causes of chronic kidney diseases. Diabetes and high blood pressure are the most common causes of chronic kidney diseases. 

  • Diabetes: Too much glucose, also called sugar, in your blood damages your kidneys’ filters. Over time, your kidneys can become so damaged that they no longer do a good job filtering wastes and extra fluid from your blood. The first sign of kidney-related issues from diabetes is protein in your urine. The filters are damaged, and you need a protein called albumin to stay healthy. Diabetic kidney disease is the medical term for kidney disease caused by diabetes.
  • High blood pressure: High blood pressure can damage blood vessels in the kidneys, so they don’t work either. If the blood vessels in your kidneys are damaged, your kidneys may not work as well to remove wastes and extra fluid from your body. Excess fluid in the blood vessels may increase blood pressure, creating a dangerous cycle.

 

Other factors that cause chronic kidney diseases. 

Some other factors that can cause kidney-related problems are: 

  • A genetic disorder that causes many cysts to grow in the kidneys
  • an infection
  • A drug that is toxic to the kidneys
  • A disease that affects the entire body, such as diabetes or lupus, is an NIH external link. Lupus nephritis is the medical name for kidney disease caused by lupus.
  • IgA glomerulonephritis
  • Disorders in which the body’s immune system attacks its cells and organs, such as Anti-GBM disease
  • heavy metal poisoning, such as lead poisoning NIH external link
  • rare genetic conditions, such as Alport syndrome NIH external link
  • hemolytic uremic syndrome in children
  • IgA vasculitis
  • renal artery stenosis

 

Treatment for chronic kidney diseases.

 

Medication 

High blood pressure medications can initially decrease kidney function and change electrolyte levels, so you might need frequent blood tests to monitor your condition. Your doctor may also recommend a water pill and a low-salt diet.

  • Medications to relieve swelling: People with chronic kidney disease often retain fluids. This can lead to swelling in the legs and high blood pressure. Medications called diuretics can help maintain the balance of fluids in your body.
  • Medications to treat anemia: Erythropoietin, sometimes with added iron, helps produce more red blood cells. This might relieve fatigue and weakness associated with anemia.
  • Dialysis: Dialysis artificially removes waste products and extra fluid from your blood when your kidneys can no longer do this. In hemodialysis, a machine filters waste and excess fluids from your blood.
  • Kidney transplant: A kidney transplant involves surgically placing a healthy kidney from a donor into your body. Transplanted kidneys can come from deceased or living donors.

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गर्मियों में ही क्यों अक्सर होता है किडनी स्टोन का दर्द ?

यह अधिक से अधिक स्पष्ट होता जा रहा है कि ग्लोबल वार्मिंग कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो हमारे भविष्य में छिपी है, बल्कि यहीं और अभी हो रही है। तापमान अविश्वसनीय ऊंचाई पर पहुंचने के साथ, गर्मी और उमस किडनी पर कहर बरपाती है। गर्मियों को अक्सर गुर्दे की पथरी का मौसम कहा जाता है क्योंकि पसीने के कारण हमारा शरीर तेजी से निर्जलित हो जाता है और निर्जलीकरण की संभावना अधिक होती है। निर्जलीकरण गुर्दे की पथरी के सामान्य कारणों में से एक है।

किडनी स्टोन किडनी के अंदर बनने वाली एक ठोस वस्तु है। यह आकार में अनियमित है और क्रिस्टल बनाने वाले एसिड लवण और खनिजों से बना है। यह मूत्रवाहिनी तक भी जा सकता है और कमर और पीठ के निचले हिस्से में दर्द और परेशानी पैदा कर सकता है। मूत्रवाहिनी वह नली है जो मूत्राशय और गुर्दे को जोड़ने में मदद करती है। 

  • गुर्दे की पथरी के बनने के मुख्य संभावित कारण कम पानी पीना, मोटापा, बहुत अधिक चीनी या नमक वाला भोजन करना, व्यायाम करना (कभी-कभी बहुत कम या बहुत अधिक), वजन घटाने की सर्जरी और बहुत कुछ हैं। कुछ मामलों में, यह कुछ संक्रमणों या पारिवारिक इतिहास के कारण होता है। यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक फ्रुक्टोज का सेवन करता है तो उसमें गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। फ्रुक्टोज आमतौर पर उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप और टेबल शुगर में पाया जाता है।
  • ट्रिस्टेट के आसपास गर्म, आर्द्र मौसम हम सभी को निर्जलीकरण के अधिक जोखिम में डालता है, खासकर यदि हम बाहर बहुत समय बिता रहे हैं और सामान्य से अधिक पसीना बहा रहे हैं। पसीने के माध्यम से निकलने वाले तरल पदार्थ की भरपाई के बिना, मूत्र गाढ़ा हो सकता है, जिससे गुर्दे की पथरी के निर्माण के लिए प्रमुख स्थितियां बन सकती हैं।
  • निश्चित आहार प्रोटीन, सोडियम (नमक) और चीनी से भरपूर आहार खाने से कुछ प्रकार की किडनी की पथरी का खतरा बढ़ सकता है। यह उच्च सोडियम आहार के साथ विशेष रूप से सच है। आपके आहार में बहुत अधिक नमक आपके गुर्दे द्वारा फ़िल्टर किए जाने वाले कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाता है और गुर्दे की पथरी के खतरे को काफी हद तक बढ़ा देता है।
  • पर्याप्त पानी पीयें: इस पर पर्याप्त तनाव नहीं दिया जा सकता। शरीर में पानी की कमी से यूरिक एसिड और कुछ खनिज शरीर में केंद्रित हो सकते हैं, जिससे वातावरण गुर्दे की पथरी के निर्माण के लिए अनुकूल हो जाता है। पूरे दिन, खासकर गर्मियों के दौरान पानी पीते हुए अपने शरीर को निर्जलित होने से बचाएं।
  • नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें: नमक में सोडियम होता है, जो शरीर में कैल्शियम का निर्माण करता है। इससे कैल्शियम ऑक्सालेट गुर्दे की पथरी बनने लगती है।
  • पशु प्रोटीन का सेवन कम करें: पशु मांस प्रोटीन के समृद्ध स्रोत हैं। हालांकि, यह प्रोटीन शरीर में साइट्रेट के स्तर में कमी लाता है। साइट्रेट एक रसायन है जो गुर्दे की पथरी को रोकता है।
  • उच्च जल सामग्री वाले फल और सब्जियां खाएं: आपके शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए तरबूज, खरबूजा और केले जैसे फल शामिल करें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
  • प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें: प्यूरीन से भरपूर आहार से यूरिक एसिड किडनी स्टोन विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए रेड मीट, शेलफिश आदि खाद्य पदार्थों का सेवन गर्मियों में कम करें।
  • चीनी-मीठे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का सेवन कम करें जैसे कुछ खाद्य पदार्थ और पेय जिनमें चीनी अधिक होती है, जैसे उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, शरीर में कैल्शियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड का निर्माण कर सकते हैं, जिससे गुर्दे की पथरी हो सकती है।
  • शराब का सेवन कम करें: अत्यधिक शराब का सेवन न केवल लीवर को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को भी बढ़ाता है, जिससे गुर्दे की पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
  • ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें: कुछ खाद्य पदार्थ ऑक्सालेट स्तर से भरपूर होते हैं जैसे मूंगफली और अन्य फलियां, चॉकलेट, शकरकंद और यहां तक कि पालक और चुकंदर आदि। इनके परिणामस्वरूप शरीर में कैल्शियम ऑक्सालेट गुर्दे की पथरी हो सकती है।
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क्या गर्म मौसम के कारण मूत्राशय में संक्रमण और किडनी स्टोन होने का डर हो सकता है ?

यूटीआई होने की संभावना गर्मियों में अधिक होती है, यह साल का वह समय है जब मौसम गर्म होता है और कीटाणुओं या जीवाणुओं का पनपना आसान होता है। निर्जलीकरण से यूटीआई हो सकता है। गर्मी का तापमान वर्ष के उच्चतम बिंदु तक पहुंचने के साथ, हाइड्रेटेड न रहने से यूटीआई अधिक आम हो सकता है। गर्मियों में अधिक यौन गतिविधियां होती है और इससे मौसम गर्म होने पर अधिक लोगों के यूटीआई होने का खतरा हो सकता है।  

जैसे- जैसे गर्मी और नमी बढ़ती जाती है, वैसे वैसे ही शरीर में से तरल पदार्थ की कमी होने भी आसान है जिसके कारण  लोगो को अक्सर पूरी गर्मियां में संक्रमणो का सामना करना पड़ता है। यदि यूटीआई का जल्दी इलाज किया जाए तो संभवत आपके मूत्र पथ पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा। यूटीआई आपके मूत्र तंत्र के किसी भी हिस्से में एक संक्रमण है- गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग। यह आमतौर पर तब होता है जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्र पथ में प्रवेश करता है और मूत्राशय में गुणा करना शुरू कर देता है। यद्यपि यूटीआई हर किसी को प्रभावित कर सकता है, पुरुषों की तुलना महिलाओं में उनके छोटे मूत्रमार्ग के कारण इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यूटीआई हमेशा लक्षण उत्पन्न नहीं करते है। लेकिन जब वे ऐसा करते है, तो उनमें शामिल हो सकते है:

  • पेशाब करने की तीव्र, लगातार इच्छा
  • पेशाब करते समय जलन होना 
  • बार- बार, थोड़ी मात्रा में पेशाब आना 
  • बादलयुक्त मूत्र 
  • लाल, चमकीला गुलाबी या कोला रंग का मूत्र 
  • तेज़ गंध वाला पेशाब 
  • पेल्विक दर्द (महिलाओं में)

गर्मियों का गर्म मौसम और आर्द्र परिस्थितियाँ ऐसा वातावरण बना सकती हैं जो विशेष रूप से बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुकूल है। यूटीआई का कारण बनने वाले बैक्टीरिया गर्म, नम वातावरण में पनपते हैं, जो पसीने और नम स्थितियों में पाए जा सकते हैं, जैसे गीले स्नान सूट पहनना या गर्मी में लंबे समय तक बाहर रहना।

गुर्दे की पथरी एक अन्य मूत्रविज्ञान समस्या है जो अक्सर वसंत और गर्मियों में देखी जाती है। गुर्दे की पथरी एक छोटी, कठोर जमाव होती है जो गुर्दे में बनती है और बाहर निकलने पर अक्सर दर्दनाक होती है। पुरुष और महिला दोनों ही इस स्थिति को विकसित करने में सक्षम हैं। हालांकि वे गुजरते समय अक्सर स्थायी क्षति नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन वे अविश्वसनीय रूप से दर्दनाक होते हैं। गर्म मौसम में मूत्र पथ के संक्रमण के कुछ सामान्य कारणों के समान, गुर्दे की पथरी अक्सर निर्जलीकरण से जुड़ी होती है। आपके सिस्टम में पानी की कमी से मूत्र अधिक गाढ़ा हो सकता है जिससे कठोर जमाव विकसित हो सकता है। जैसे- जैसे वसंत और गर्मी के महीने बढ़ते है, निजलीकरण अधिक से अधिक आम हो जाता है। 

गुर्दे की पथरी के बनने के मुख्य संभावित कारण कम पानी पीना, मोटापा, बहुत अधिक चीनी या नमक वाला भोजन करना, व्यायाम करना (कभी-कभी बहुत कम या बहुत अधिक), वजन घटाने की सर्जरी और बहुत कुछ हैं। कुछ मामलों में, यह कुछ संक्रमणों या पारिवारिक इतिहास के कारण होता है। यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक फ्रुक्टोज का सेवन करता है तो उसमें गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। फ्रुक्टोज आमतौर पर उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप और टेबल शुगर में पाया जाता है। गर्मियों में तापमान बढ़ने से पसीना अधिक निकलता है। लोग थोड़े लापरवाह हो जाते है और लंबे समय तक निजलित रहते है। उचित जलयोजन के बिना, मानव शरीर के अंदर के तरल पदार्थ आहार खनिजों के साथ अधिक केंद्रित होने लगते है। इस प्रकार यह गुर्दे के अंदर की पथरी पर स्थिर हो सकता है। 

उचित पोषण और जलयोजन से, लोग अपने भीतर गुर्दे की पथरी के विकास को रोक सकते हैं। कुछ अतिरिक्त तरल पदार्थ पीने से मूत्र में पथरी पैदा करने के लिए जिम्मेदार तत्व पतले हो जाते हैं। कुछ पेय भी पथरी को बनने से रोकने में मदद करते हैं या उन्हें और अधिक विकसित होने से रोकते हैं जैसे संतरे का रस और नींबू पानी। इन जूस में साइट्रेट होता है और पथरी को अधिक बढ़ने नहीं देता। इन सब चीजों का प्रयोग गर्मी शुरू होने से पहले ही बनाए रखना चाहिए ताकि अधिक गर्मी होने पर कोई दिकत न देखनी पड़े। हालाँकि कई यूटीआई अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि आपको तेजी से राहत की आवश्यकता है तो एंटीबायोटिक्स एक त्वरित-अभिनय, अत्यधिक प्रभावी यूटीआई उपचार हो सकता है।

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