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आखिर किन-किन स्थितिओं में पेशाब निकालने वाली नली की जरूरत पड़ती है? डॉक्टर से जाने

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पेशाब निकालने वाली नली का इस्तेमाल आम तौर पर, कई तरह की मेडिकल स्थितिओं में किया जाता है। आपको बता दें, कि पेशाब निकालने वाली नली जिसको आम तौर पर, अंग्रेजी में यूरिनरी कैथेटर भी कहा जाता है। कहा जाता है, कि इसका निर्माण दो तरह के मटीरियल से होता है, पहिला मेडिकेटेड और दूसरा नॉन-मेडिकेटेड मटीरियल। आम तौर पर अगर इसे लंबे वक्त तक के लिए, इस्तेमाल में लाना हो, तो उस कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है, जो मेडिकेटेड मटीरियल से बना हुआ होता है। यह ब्लैडर में से पेशाब को बाहर की तरफ लेकर जाता है। यह सिलिकॉन के आधारित होता है। इस ट्यूब को पेशाब के रास्ते से ही और जरूरत के अनुसार ही मरीज के यूरेथ्रा में लगाया जाता है। इसकी जानकरी न होने की वजह से कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता है, कि आखिर पेशाब निकालने वाली नली की आवश्यकता क्यों पड़ती है और किन- किन स्थितिया में इस ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है? तो आइये इस लेख के माध्यम से इस के डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं। 

पेशाब निकालने वाली नली की जरूरत क्यों पड़ती है?

दरअसल, पेशाब निकालने वाली नली की जरूरत इस लिए और उन स्थितियों में पड़ती है, आम तौर पर, जब व्यक्ति खुद से पेशाब नहीं कर पाता है। ऐसा कई स्थितिओं में हो सकता है, जैसे कि 

  1. मूत्राशय में पथरी

आज के समय में मूत्राशय की पथरी की समस्या कई लोगों में देखी जा सकती है और मूत्राशय में पथरी बनने के कारण व्यक्ति को कई बार पेशाब करने में परेशानी हो सकती है। क्योंकि मूत्राशय में पथरी बनने के कारण व्यक्ति का मूत्र मार्ग ब्लॉक हो जाता है। ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति का स्वास्थ्य और भी ज्यादा खराब हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर जरूरत के अनुसार ही मूत्र कैथेटर को डालते हैं। इस पेशाब निकालने वाली नली को लगाकर व्यक्ति के मूत्राशय को समय-समय पर खाली किया जाता है। इसके अलावा, रोगी का उपचार भी जारी रखा जाता है, ताकि रोगी के मूत्राशय से पथरी को निकाला जा सके और मूत्रमार्ग को खाली किया जा सके।

  1. ब्लैडर कैंसर

ब्लैडर कैंसर या फिर ब्लैडर से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए एक पेशाब निकालने वाली नली का इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि पेशाब निकालने वाली नली की सहयता से कीमोथेरेपी की दवाईयों को सीधे ब्लैडर में पहुंचाया जाता है। हालाँकि, आपको बता दें, कि इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मूत्राशय कैंसर के लिए इंट्रावेसिकल इम्यूनोथेरेपी असफल हो जाती है। आम तौर पर, यह भी एक ब्लैडर कैंसर के इलाज का तरीका है। 

  1. मूत्राशय में कमजोरी

आम तौर पर, मूत्राशय की नर्व का डैमेज होना, सर्जरी या पेशाब करने में काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना आदि, इस तरह के कई कारण है, जो मूत्राशय में कमजोरी पैदा करते हैं।दरअसल, इस तरह की स्थिति में मरीज को पेशाब निकालने वाली नली को लगाया जाता है और इसके साथ ही इस दौरान मरीज का इलाज भी चलता रहता है। आपको बता दें, कि जैसे जैसे मरीज ठीक होता जाता है, वैसे ही, पेशाब निकालने वाली नली को निकालने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है।हालांकि, आम तौर पर, पेशाब निकालने वाली नली को कब निकालना है और किस तरीके से निकलना है, यह सब कुछ डॉक्टर ही तय करते हैं।

निष्कर्ष: वेस तो, कई तरह की मेडिकल स्थितियों में पेशाब निकालने वाली नली का इस्तेमाल किया जाता है, पर दरअसल, जब कोई व्यक्ति खुद से पेशाब नहीं कर पाता है, या फिर उसको पेशाब करने में काफी ज्यादा परेशानीओं का सामना करना पड़ता है, तो इस तरह की स्थिति में पेशाब निकालने वाली नली की जरूरत पड़ती है। पेशाब निकालने वाली नली का इस्तेमाल, मूत्राशय में पथरी, ब्लैडर कैंसर और मूत्राशय में कमजोरी जैसी कई स्थितियों में किया जाता है। जो एक व्यक्ति के ब्लैडर में से पेशाब को बाहर की तरफ लेकर जाने में सहायता प्रदान करती है। अगर आप इसके बारे में और जानना चाहते हैं, या आपको भी पथरी की समस्या के कारण पेशाब करने में काफी दिक्कत होती है, और आप इसका इलाज करवाना चाहते हैं, तो आज ही आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी अस्पताल में जाकर आपकी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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