पथरी की शुरुआत- इंसानों में यूरिनरी ट्रैक्ट की पथरी का बनना आम सा ही हो गया है जो कभी आसानी से भी निकल जाती है पर आपके अंदरूनी शरीर को थोड़ा सा परेशान करके। शरीर में बनते स्टोन एक तरह से सकत पत्थर के जैसे जो यूरिनरी ट्रैक्ट में बनकर, उसको दर्द की स्थिति में लाकर, कभी पेशाब में खून लाकर, इन्फेक्शन व कभी पेशाब को निकलने से रोक देते है।छोटे मोटे स्टोन तो कोई परेशानी नहीं करते, लेकिन बढ़ी पथरी तो दर्दनाक होती है जो पसलियाँ और नितंब के बीच के क्षेत्र में दर्द खड़ा कर देती है।
किन से,कैसे और क्या करती है पथरी- शरीर में पैदा होया कैल्शियम, ऑक्सलेट, यूरिक एसिड जब ज्यादा मात्रा में होकर किडनी स्टोन का रूप ले लेते है और फिर जब यह स्टोन यूरिन के साथ निकल के मूत्रवाहिनी या मूत्राशय में पहुँच जाता(पेशाब रुक जाना से) तो गहन दर्द शुरू कर देता जिससे कभी उल्टी, पसीने,कभी ठंडी या बुखार के लक्षण आने लगते है।
कैसे पता चलता है स्टोन का- यूरिन पाइप की कालकुल्ली का पता तब पता चलता है जब पेशाब मूत्रवाहिनी में पथरी की वजह से रुक जाए या करने में जोर लगे जिस के कारण मूत्राशय की दीवार में चिढ़ने(irritation) की दिक्कत होने लगती है लेकिन यह कोई स्थायी हानि नहीं करता।
इसका ट्रीटमेंट- अगर इन पथरिओ को ऐसे ही छोड़ा जाए तो इनका फिर होने का डर होता है मूत्रवाहिनी का काम होता है किडनी से ब्लैडर तक यूरिन लेकर जाना जिसको फिर डॉक्टर मूत्राशयदर्शी व यूरेटेरोस्कोपी के द्वारा मूत्रमार्ग से पाइप डालकर, जहां यह देख सखे के यूरिनरी ट्रैक्ट में स्टोन कितना बड़ा और काहा फसा हुआ है। इसके पहले डॉक्टर मरीज़ का अल्ट्रासाउंड करके अलग अंगों में ध्वनि तरंगें उत्पादन करके जिससे पथरी हिलने की स्थिति में आती और फिर मूत्राशय के चित्र निकालते जाते। इसके अलावा किडनी,मूत्रवाहिनी, ब्लैडर का ‘एक्स रे’ किए जाता है ता कि पता चल सके के स्टोन है बीके नहीं। कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) भी एक और तरीका है जिससे पथरी का पता लगा या जाता है।
किडनी में पाया स्टोन, यूरिनरी ट्रैक्ट की पथरी से बहुत अलग होता है। अगर तो किडनी का स्टोन छोटा होगा, तो वो मूत्रवाहिनी से होकर ब्लैडर में चला जाता है, अगर दयान नहीं दिए, तो यह एक बड़ी ब्लैडर की पथरी का रूप भी ले सकती है।
इसके बारे में और जानकारी- यूरिन पथरी को वैज्ञानिक तौर से यूरोलिथियासिस भी कहा जाता है। यह पथरी के लक्षण महिलाओं व पुरुषों में एक समान ही होते है जैसे दुन्दला सा पेशाब, उल्टी, पेशाब में खून, जलता हुआ पेशाब का आना, लिंग में दर्द, निचले पेट में दर्द, पेशाब रुक जाना। ज़्यादा तर इसका आकार ५मम से कम होता है, मौका होते है के यूरिन से निकल जाए।
किस खानपान से हो जाता है– मुख्य रूप से यूरिनरी में पथरी होना ज्यादा एकाग्रता में यूरिक एसिड बनना जो लाल मीट, अंग मीट, शराब, मीट की तरी आदि से शरीर में बन जाती है।
कैसे ठीक रह सकते है
- तरल पदार्थ वाली चीजे ज़्यादा से ज़्यादा पिए, २-३चौथाई/दिन
- ऑक्सालेट सामग्री वाली चीजें कम खाए जैसे हरी सब्जियां, आलू , अनाज आदि।
- कैल्शियम अनुपूरकों को ज़्यादा टाले
- सुका नमक कम खाने की कोशिश करें।
- सोडे वाली चीजें जिसको अक्सर लोग कहते है पिने से पथरी निकल जाती है।