हर्निया आमतौर पर पेट या फिर कमर में हो सकता है | जब पेट के अंदरूनी कमजोर भाग में छेद करके एक अंग उभरकर बहार आता है तो उसे हर्निया कहा जाता है | यह समस्या जन्मजात से भी हो सकती है या फिर समय के साथ यह पेट की कमजोर दीवार में या परत में विकसित हो सकती है | हर्निया के उभरने से उसमे मौजूद रक्तवाहिकाओं पर काफी दबाव पड़ता है | कुछ परिस्थितियां ऐसी भी होती है जिससे खून की सप्लाई रुक जाती है और यह आपातकालीन स्थिति भी बन जाती है क्योंकि ऊतक को खून के मध्याम से मिलने वाली ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है |
हर्निया की पहचान और लक्षण कौन से है ?
हर्निया का एक आम लक्षण है प्रभावित क्षेत्र में एक उभार या गांठ बन जाना | उदाहरण के तौर पर इनगुइनल हर्निया जो आपके जांघ की हड्डी के तरफ एक गांठ दिख सकती है, जहाँ आपके जननांग क्षेत्र और जांघ का मिलाप होता है | जान आप लेटते हो तब आपको यह लगता है की यह गांठ गायब हो गया है और जब वही आप खड़े होते हो, झुकते या खांसते हो तो स्पर्श करने पर यह अधिक महसूस होती ह और इसके आस-पास के क्षेत्र में दर्द भी होने लगता है |
कई मामले ऐसे भी होते है जिसमे हर्निया के कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है | कई बार यह भी होता है की जब आप एक नियमित शारीरिक या असंबधित मेडिकल परीक्षण करवाते हो तब आपको इस समस्या के बारे पता लगता है |
हर्निया होने के कारण क्या है ?
आमतौर पर हर्निया मासपेशियां की कमज़ोरी या फिर त्वं दोनों के संयोजन से होती है | मांसपेशियों के कमज़ोर होने के निम्नलिखित कारण है :-
- बढ़ रही उम्र
- लम्बे समय से चल रहे खांसी समस्या से ग्रसित होना
- चोट और सर्जरी से बना घाव
- गर्भ के समय शिशु के पेट की परत का सही तरह से विकसित न होना |
हर्निया से पीड़ित रोगी को उपचार की आवश्यकता है या नहीं यह उसके हर्निया के आकर या उसके गंभीरता पर ही निर्भर करता है ,यह सुझाव सिर्फ डॉक्टर ही दे सकता है क्योंकि उपचार कई प्रकार के हो सकते है जैसे दवाइयें या फिर सर्जरी आदि | इसके लिए आरजी स्टोन यूरोलॉजी एंड लैप्रोस्कोपी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है |